For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA's Blog (105)

नवरात्र ..लघु कथा

नवरात्र ..लघु कथा 
------------------------------------

शर्मा जी की यूँ तो आदत बहुत खाने की है, बुराई एक है  अपने खाने में से वो किसी को पूंछते  नहीं कि भैया जी थोडा सा आप भी खा लो. धार्मिक इतने कि कार्यालय कभी प्रातः साढ़े ग्यारह से पहले नहीं आते और चार बजे कार्यालय छोड़ देते . कारण पूछो तो बताते कि पूजा पर बैठते हैं.

नवरात्र में वे फलाहार कार्यालय कैम्पस के बाहर लगे फलों के ठेले पर करते . सो नित्य की भांति वे फलाहार करने गए. पीछे पीछे मैं भी गया…
Continue

Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 18, 2013 at 4:00pm — 19 Comments

नारी तू नहीं है अबला

नारी तू नहीं है अबला

--------------------

नारी तू नहीं है अबला 

है शक्ति  स्वयं पहचान 

खुद  को शोषित  मान  ले 

फिर  कौन  करे  सम्मान 

दूषित  जग  से लड़ना होगा

खुद  ही आगे बढ़ना…

Continue

Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 13, 2013 at 6:00pm — 25 Comments

हार्दिक शुभ कामनाएं

हार्दिक शुभ कामनाएं 
------------------------
 दूजा वर्ष था ओ बी ओ 
तब से हुआ संग 
श्वेत श्याम  ज्ञान मेरा 
हुआ रंगा  रंग 
ग्यानी गुण जन सब  बसे 
ये सोने की खान 
शिक्षण पद्धति बहुत  भली 
जान सके तो जान 
.हार्दिक शुभ कामनाएं 
प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा 
1-4-2013

Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 1, 2013 at 5:00pm — 11 Comments

हाय जनता

हाय जनता 
----------------

प्रतिष्ठान के मालिक ने 

होली मिलन मनाया 

सभासद सांसद सहित  
मेरा भी न्योता आया 
हारे जीते नेता सब आये 
उपलब्धि के  गीत थोथे गाये 
संघर्ष बहुत किया भारी 
तब आयी जीतन की बारी 
विकास क्षेत्र का कर दूंगा 
बदले में वोट केवल  लूँगा 
करतल ध्वनी हुई भारी 
टूटी…
Continue

Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 1, 2013 at 4:20pm — 10 Comments

ओ कनहइया

ओ कनहइया
----------------

घोर कलियुग आ गया 

बाप बड़ा न भइया 
सारे जग को नाच नचाये 
काला  सफ़ेद रुपइया 
वक्त कभी था जगह जगह 
ज्ञान की बातें होती 
लुटती अस्मत बीच सड़क 
ममता घर घर रोती 
कब बदलेगा ये चलन 
जब' भाई ' बनेंगे भइया
सारे जग को नाच नचाये 
काला  सफ़ेद रुपइया 
हरी भरी  धरती थी अपनी 
कल कल…
Continue

Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 21, 2013 at 5:26pm — 2 Comments

ब्रज की होली

ब्रज की होली
---------------

भोला संग चली भवानी 

देखन ब्रज की होली 
नंदी थिरके सब गन थिरके 
देख राधा भोली 
देख राधा भोली भैया देख राधा भोली 
प्रेम से  सब कोई  खेलो 
 है ये ब्रज की होली 
भोला संग चली भवानी 
देखन ब्रज की होली 
संग बाराती जा पहुंचे 
यमुना तट पे भोला 
होली का हुडदंग मचा 
घोंट रहे भंग…
Continue

Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 21, 2013 at 3:58pm — 6 Comments

जीवन-मृत्यु

जीवन-मृत्यु

----------------

एक अदृश्य सी रेखा

जीवन मृत्यु के मध्य

चुनना अत्यंत कठिन

दोनों में से एक को

जीवन क्षणभंगुर

अकाट्य सत्य है

मृत्यु भी असत्य नहीं

जान लें इस भेद को

मृत्यु की छाती पर

नर्तन करता जीवन

पकड़ना चाँद लहरों में

बाँधना रेत का कठिन

चेत रे मन होश न खोना

जीवन है अमूल्य खरा सोना

सुन्दर जीवन जिया जाये

होय वही जो पिया मन भाये…

Continue

Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 20, 2013 at 6:30pm — 16 Comments

सेना दिवस

सेना दिवस 
-------------

धन्य  धरा भारत की जहाँ पग पग लगते मेले 

 उड़े अबीर गुलाल  हवा में  सब मिल गोद खेले
तिहुँ ओर घिरी  जल  से धरती  हिमालय बना  प्रहरी 
सूरज सबसे पहले उग कर  बिखेरे छटा सुनहरी 
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सब भाई चारा निभाते 
होली ईद हो या दिवाली संग   मिल पर्व मनाते
सुखदेव सुभाष  भगत…
Continue

Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 14, 2013 at 1:08pm — 16 Comments

डा . तुकबंद की तबाहियां

डा . तुकबंद की तबाहियां

------------------------------

निकला मेरा जनाजा उनके इश्क की छाँव में

फूल बिछाए हमने बिखेरे कांटे उन्होंने राह में

भूल गए वो कि जनाजा तो काँधे पे जाएगा

गुजरेंगी इस राह से कोई बहुत याद आएगा

---------------------------------------------------------

आशिक और शायरों की है अलग पहचान

जानते हैं सब फिर भी बनते हैं अनजान

आशिकी में आशिक बस करते हैं आह आह

पढ़े गजल शायर लोग करते हैं वाह…

Continue

Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 11, 2013 at 5:57pm — 9 Comments

प्रहार

प्रहार 

दहक उठे अंगारे धरती हुई रक्त से फिर पग पग  लाल 

जूझ पड़े वीर बाँकुरे झुके नहीं हँस  कटा दिए निज भाल
माँ  के लहराते आँचल में कायर  अरि  कंटक नित फंसाते 
धन्य है  भारत वीर भूमि जहाँ  बलिदानी पलकन चुनते जाते 
अरि मर्दन करने को खड़े रहते सीमा  पर प्रहरी  सीना  ताने 
हर बार लड़े  हर बार मिटे…
Continue

Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 10, 2013 at 2:01pm — 6 Comments

दामिनी के नाम

आदिकाल से नारी स्वयं में है पहचान,
क्यों कर अबला बनी है सर्वशक्तिमान,
दुर्गा अहिल्या शबरी सावित्री रूप भाता,
दुष्ट दलन श्रृष्टि कर्ता दुःख भंजन माता,
बहना बेटी भार्या बन परिवार में आती,
उड़ेल स्नेह कई रूपों में संस्कार जगाती,
धरती सा सीना इसका वात्सल्य की मूर्ति,
त्याग समर्पण स्नेह से करती इच्छा पूर्ति,
नाहक पुरूष पुरुषार्थ दिखाते लज्जा न आती,
न कोई और रिश्ता हो ये माता तो कहलाती|

प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा
९-१-२०१३

Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 9, 2013 at 4:00pm — 10 Comments

मूँछ

 मूँछ 

-------- 

मूँछ की भी अजब कहानी 

खिले आनन् दिखे  जवानी

कद लम्बा और चौड़ा सीना 

पहने उस पर कुरता झीना 

चलता  राह रोबीली चाल 

काला टीका औ उन्नत भाल 

कभी तलवार कभी मक्खी कट 

छोटी बड़ी कभी सफा चट

बगैर मूँछ  लगता  चेहरा   खुश्क …

Continue

Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 27, 2012 at 12:19pm — 6 Comments

पुकार

पुकार 

---------

साहित्य के सिपाहसालारों
धार लेखनी क्यों पडी मंद 
हाहाकार मचा चहुँ ओर 
समर भूमि में…
Continue

Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 23, 2012 at 12:52pm — 17 Comments

बलात

बलात 

-------



चप्पे चप्पे पर है दुशासन 

फिर मौन भला क्यों प्रशासन 

आपस में आलिंगन बद्ध 

करे किस का इन्तजार 

बलात्कार बलात्कार बलात्कार


था जिन पे हमें नाज 

आसमान लाल क्यों आज 

उड़ रहे अनगिनत बाज 

पंछी ले कैसे परवाज 

बताओ हमें इन्तजार 

बलात्कार बलात्कार बलात्कार


नन्ही कोमल सी कली 
नाज लाड़ पली बढ़ी 

नाग ने डस लिया

फंद में जकड़ लिया 

सुनाई पडी न…
Continue

Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 22, 2012 at 4:00pm — 14 Comments

कृषक

कृषक  

---------

कृषि प्रधान भारत अपना फसलों की बहार है 

भूख कुपोषण जन है मरते कैसा पालन हार है 

खेत से खलिहान तक फैली  जिसकी सरकार है

उसका तो बस नाम मात्र  ईश्वर पालन हार है  

काट रहा निश दिन अपने स्वेदाम्बू लिए माथ है 

हाथ न आये लाभ उसे कछु भूख मात्र साथ है 

काढ़े कर्ज उत्पादन करते सेठ भरे तिजोरी है 

बच्चे उसके भूखे  मरते शासन की कमजोरी…

Continue

Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 20, 2012 at 3:47pm — 13 Comments

आग

आग 
------

आरक्षण की नेता तुमने

ये कैसी आग लगाई 
मिल जुल संग जो  साथ रहे
दुश्मन हो गए भाई 
प्यारा कितना  देश था भारत 
सारा  जग करता था आरत 
सत्ता की खातिर  देश को बांटा 
जो मिला उसे एक दूजे ने काटा 
भाइयों में खूब जंग करायी 
आरक्षण की नेता तुमने 
ये कैसी आग…
Continue

Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 14, 2012 at 2:39pm — 8 Comments

पिकहा बाबा ----प्रेस वार्ता

पिकहा बाबा ----प्रेस वार्ता 

------------------------------
हे नाती बाबू एहर सुना देखा अंतरजाल आश्रम पर काफी भीड़ इकट्ठी होएला. का  माजरा  बा ?
सुना नाना जी कौनो चिंता न किये . ई सब चारों स्तंभ के लोग इकठ्ठा कियेला . आज तोहरा प्रेस वार्ता का आयोजन बा .
देखा नाती हमका चरका न देवा . २ महीना हो गईला हमरे अवतार का रोजे रोज दांव होएला. कौनो हमरे पास न आवेला. न जाने सब कहाँ बिजी बा . बड़ा मनेजमेंट गुरु बनेला. इतना मा तो हम पूरे  देश की सरकार…
Continue

Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 2, 2012 at 5:58pm — 6 Comments

शांति

शांति 
------
पक्षियों का कलरव 

जल प्रपात 

समुद्र की गोद में 
क्रीड़ारत लहरें 
धुआं उगलते कारखाने 
फर्राटा  भरती  गाड़ियाँ 
शोर हर तरफ 
घुटता दम 
इसके बीच हम 
नहीं सुनायी देती 
नही दिखती 
अबला की चीत्कार 
भूखे नंगे सिसकते बच्चे 
नफरत की चिंगारी 
झुलसते…
Continue

Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on November 25, 2012 at 2:36pm — 10 Comments

नाना नाती उवाच -------पिकहा बाबा अवतार

नाना नाती उवाच -------पिकहा बाबा अवतार 

-----------------------------------------------------

नाना नाना ई बतावा फिर कौनो  बात हो गई 
चेहरा काहे लटकौले नानी से मुलाक़ात हो गई 
चुप रहो नाती न बोलो पकड़ो   ई दस रुपिया
दोनों ओर आग लगावत नानी के तुम खुफिया 
------------------------------------------------------
नानी खफा बहुत हमसे ढूंढ रही वो बेला 
कौन बनाया लेखक हमको  इंटरनेट…
Continue

Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on November 19, 2012 at 5:18pm — 9 Comments

मच्छर

        मच्छर

इस युग के दो महान प्राणी

जिनकी महिमा सबने जानी

लेता सब कुछ न कुछ देता   

एक  मच्छर दूसरा  है नेता

---------------------------------

गली नुक्कड़ हो या चौबारा 

हर जगह है इनकी पौ बारा 

जिनके बूते जग में हैं  पलते 

अवसर पा शरीर में डंक भरते 

---------------------------------

सूरत सीरत पे इनकी न जाओ 

लाख बचो इनसे पर बच न पाओ 

भुनभुना के मीठा संगीत सुनाते 

चुपके से  जनता का खून पी…

Continue

Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on November 16, 2012 at 5:02pm — 16 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
8 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
9 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। पंचकल त्रिकल के प्रयोग…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई के साथ-साथ धन्यवाद भी। कि, इस पटल पर, इस खुले आयोजन…"
10 hours ago
Chetan Prakash commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"वाकई  खूबसूरत शुद्ध हिन्दी गजल हुई, आदरणीय! "कर्म हम रणछोड  के अनुसार भी करते…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीया रक्षिता जी,  आपकी इस कविता में प्रदता शीर्षक की भावना निस्संदेह उभर कर आयी…"
12 hours ago
Chetan Prakash commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक शेर की विषय - वस्तु…"
14 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"धन्यवाद भाई लक्ष्मण धामी जी "
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service