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Aazi Tamaam's Blog (45)

रिश्ता निभाता भी रहा

2122 2122 2122 212

प्यार भी करता रहा दिल को जलाता भी रहा

जिंदगी भर मेरी चाहत आज़माता भी रहा

बेबसी की दास्तां किसको सुनाये दिल भला

उम्र भर गम भी रहा और मुस्कुराता भी रहा

बेकरारी में कोई पागल रहा कुछ इस कदर

लौ जलाता भी रहा और लौ बुझाता भी रहा

दिल्लगी भी क्या गज़ब की दास्तां है…

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Added by Aazi Tamaam on February 11, 2021 at 12:00am — 4 Comments

ख़ुद की बाबत

2122  2122 22

दिल ने की है तेरी बहुत खिदमत

तू जो समझा है की जिसको आफत

सुर्ख रू होगा सुकूँ ना होगा पर

इस तरह आयेगी तेरी शामत

मैं तो नादानी में हूँ लेकिन तू

तुझ को होने की खुदा है आदत

यूँ की खुद को ही भुला देता हूँ

अब ना पीना आंसुओं का शरवत

तू ने छेड़ा ही कोई क्यों है फिर

गर तू होता ही न खुद से सहमत

इस तरह भी और कोई है क्या

खुद से पूँछे जो की खुद की…

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Added by Aazi Tamaam on January 21, 2021 at 11:00pm — No Comments

शायर सस्ता

22 22 22 22 22

इंसान ही शैतान इंसान ही शाइस्ता

इंसान के होने से है ख़ुदा बाबस्ता

कोई खुदा इंसान से बड़कर नहीं

समझ आयेगा आहिस्ता आहिस्ता

जिस रस्ते सब जाने से ही डरते हैं

लो मैं ही जाता हूँ की उस रस्ता

हो हर इक इंसान बस इंसान ही

क्या कोई भी है नहीं ऐसा रस्ता

जो खुदाओं पे यूँ झगडा़ करते हैं

ऐसे लोगों से अपना क्या रिश्ता

शायद दिन भर ही जलता रहता है

कितना बे-खुशबू है…

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Added by Aazi Tamaam on January 21, 2021 at 11:00pm — No Comments

ग़ज़ल (1222 1222 122)

उजड़कर क्या बसेगा गांव मेरा
यहाँ डालो ना कोई जंग-ए-डेरा

की रातें जा चुकी प्राता है शायद
घनी है तीरगी अब हो सबेरा

नज़र आये भी कैसे कोई गलती
कोई दिखता नहीं इतना घनेरा

ज़हन में देखो है नफ़रत सभी के
मिटे भी तो भला कैसे अंधेरा

तू भी रहता है बस उसके भरोसे
कोई तो आसमां भी हो की तेरा


(अप्रकाशित व मौलिक)

Added by Aazi Tamaam on January 19, 2021 at 2:00pm — No Comments

जलाने बुझाने का दिल है

122 122 122 122

किसी और मंज़िल पे जाने का दिल है

कहीं और दुनिया बसाने का दिल है

अभी मैं नहीं इश्क में सरफरोश

मगर इस कदर जाँ लुटाने का दिल है

अभी तो नदी के सफ़र पे हूँ पैहम

समंदर के साहिल पे जाने का दिल है

कभी मुट्ठियों भर सितारे जला दूँ

कभी वादियों को जलाने का दिल है

कभी खाक कर दूँ सभी जख्म़ दिल के

युँ ही शय जलाने बुझाने का दिल है

(मौलिक व अप्रकाशित) 

Added by Aazi Tamaam on January 16, 2021 at 1:30am — No Comments

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मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीया प्राची दीदी जी, आपको नज़्म पसंद आई, जानकर खुशी हुई। इस प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक…"
14 hours ago

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मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
14 hours ago

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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
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15 hours ago

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"आदरणीय, यह द्वितीय प्रस्तुति भी बहुत अच्छी लगी, बधाई आपको ।"
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Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"वाह आदरणीय वाह, पर्यावरण पर केंद्रित बहुत ही सुंदर रचना प्रस्तुत हुई है, बहुत बहुत बधाई ।"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन कुंडलियाँ छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई तिलक राज जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह से लेखन को पूर्णता मिली। हार्दिक आभार।"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
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16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई गणेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
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