एक सुबह ना जाने क्या हुआ
ऐसा लगा की सुबह तो रोज़ होती है ,
पर आज अलग कुछ बात है
इन हवाओं में घुली है शरारत,
जैसे इन्होने छोड़ी है शराफ़त
ज़रूर कोई छुपा हुआ राज़ है
निकला जो घर से , तो देखा फूलों को मुस्कुराते हुए…
Added by Rohit Dubey "योद्धा " on December 13, 2011 at 9:30pm — 3 Comments
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