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Rajkumar sahu's Blog – December 2010 Archive (9)

आदर्श पुलिस की संकल्पना अब भी अधूरी

छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण को दस साल हो गए हैं और प्रदेश ने विकास के कई आयाम गढ़े हैं, लेकिन पुलिस की चुनौती कहीं से कम नहीं हुई हो, नजर नहीं आती। प्रदेश के हालात को देखें तो पुलिस की जवाबदेही पहले से अधिक और बढ़ गई है। बढ़ते औद्योगीकरण के कारण अपराध में वृद्धि हो रही है, दूसरी ओर साइबर अपराध से निपटने राज्य की पुलिस के पास तकनीक का अभाव है। लिहाजा ऐसा कोई मामला आने के बाद पुलिस उस तरीके से छानबीन नहीं कर पाती, जिस तरीके से वे अन्य अपराधों के सुराग तलाशते हैं। छत्तीसगढ़ पुलिस में निश्चित ही इन बीते… Continue

Added by rajkumar sahu on December 30, 2010 at 4:53pm — No Comments

महंगाई और दावे पर दावे

देश की सबसे बड़ी समस्या महंगाई ने बीते कुछ बरसों से इस कदर लोगों की फजीहत खड़ी की है, उससे घर का बजट ही बिगड़ गया है। हाल की महंगाई ने तो लोगों के कलेजे, चबड़े पर ला दिया है। जिस तरह देश में विकास का सूचकांक बढ़ने का दावा किया जा रहा है, उस लिहाज से महंगाई कई गुना ज्यादा बढ़ रही है और सरकार है कि दावे पर दावे किए जा रही है। एक बार फिर महंगाई के सुरसा ने मुंह फाड़ा तो जैसे-तैसे सरकार यह कह रही है कि मार्च तक महंगाई पर काबू पा लिया जाएगा, मगर यहां सवाल यही है कि इससे पहले सरकार ने कई बार जो दावे किए थे,… Continue

Added by rajkumar sahu on December 27, 2010 at 3:37pm — No Comments

कहां जा रहा हमारा समाज ?

आधुनिकता की चकाचौंध जिस तरह से समाज पर हावी हो रही है, उससे समाज में कई तरह की विकृतियां पैदा हो रही हैं। एक समय समाज में व्याप्त कुरीतियों के खिलाफ राजा राममोहन राय जैसे कई अमर सपूतों ने लंबी जंग लड़ी और समाज में जागरूकता लाकर लोगों को जीवन जीने का सलीका सिखाया। आज की स्थिति में देखें तो समाज में हालात हर स्तर पर बदले हुए नजर आते हैं। भागमभाग भरी जिंदगी में किसी के पास समय नहीं है, मगर यह चिंता की बात है कि इस दौर में हमारी युवा पीढ़ी आखिर कहां जा रही है ? समाज में इस तरह का माहौल बन रहा है,… Continue

Added by rajkumar sahu on December 26, 2010 at 1:25pm — No Comments

विकीलिक्स ये भी बताएं

अमेरिकी वेबसाइट विकीलिक्स के क्या कहने, वह सब कुछ जानती है। किसने, किसके बारे में क्या कहा, उसे सब कुछ पता है। दुनिया में आज हर किसी की नजर जूलियन असांज की वेबसाइट पर टिक गई हैं, क्योंकि वह एक के बाद एक खुलासे करती जा रही है। बीते कुछ दिनों से ऐसा कुछ माहौल बन गया है कि जैसे कोई कुछ बता सकता है तो वह है, विकीलिक्स। यही कारण है कि मेरा भी ध्यान विकीलिक्स पर है कि अब वे क्या खुलासा करने वाली है ? वैसे विकीलिक्स, जो भी भीतर की बात बता रही है, उससे इन दिनों बड़े चेहरे माने जाने वाले कइयों की पाचन…

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Added by rajkumar sahu on December 19, 2010 at 1:09pm — No Comments

दमदार निर्णय और सशक्त भारत

भारत ने दुनिया में एक विकासशील तथा लोकतांत्रिक देश के रूप में पहचान बनाई है और विकसित देशों के बीच भारत की सशक्त छवि भी कई अवसरों पर सामने आई है। पिछले दिनों अमेरिका के राष्टपति बराक हुसैन ओबामा ने भी अपनी यात्रा के दौरान दुनिया के शक्तिशाली देशों में शामिल करते हुए भारत की कई उपलब्धियों को लेकर प्रशंसा के कसीदे गढ़े। यह बात  भी सही है कि भारत को सशक्त देश के तौर पर दुनिया में एक अरसे पहले बेहतर मुकाम नहीं मिल पाया था और भारतीय विदेश नीति पर आए दिन कई तरह के सवाल खड़े किए जाते रहे हैं, लेकिन…

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Added by rajkumar sahu on December 16, 2010 at 6:37pm — No Comments

क्यों नहीं जनता की चिंता ?

भारत में लगातार घोटाले के मामले सामने आते जा रहे हैं और हालात यहां तक बन गए हैं कि दुनिया में भ्रष्ट देशों की सूची में भारत चौथे पायदान पर है। ऐसे में समझा जा सकता है कि सफेदपोश चेहरे किस तरह देश को लूटने का कीर्तिमान स्थापित करते जा रहे हैं, लेकिन सरकार है कि ऐसे कृत्यों पर लगाम नहीं लगा पा रही है। इस साल प्रमुख रूप से कामनवेल्थ गेम्स में सुरेश कलमाड़ी की अफरा-तफरी का कमाल, आदर्श सोसायटी के फ्लैट रिश्तेदारों को बांटने के मामले में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे अशोक चव्हाण का धमाल। 2 जी… Continue

Added by rajkumar sahu on December 16, 2010 at 6:28pm — No Comments

ऐसे ही बनेगा सशक्त समाज

भारत जैसे विशाल देश का समाज भी उतना ही बड़ा है। ऐसे में हर किसी का दायित्व बनता है कि वे स्वच्छ समाज के निर्माण में सकारात्मक योगदान दें। देखा जाए तो आधुनिक समाज में कई तरह की अपसंस्कृति हावी हो गई है, इन्हीं में से एक है, नशाखोरी। यह बात आए दिन कई रिपोर्टों से सामने आती रहती है कि नशाखोरी से व्यक्ति और समाज को किस तरह नुकसान है। बावजूद, लोग अपसंस्कृति के दिखावे में ऐसे कृत्य कर जाते हैं, जिससे समाज शर्मसार तो होता ही है, खुद उस व्यक्ति का भी भविष्य दांव पर लग जाता है। नशाखोरी की प्रवृत्ति के…

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Added by rajkumar sahu on December 14, 2010 at 11:25am — No Comments

एक मिसाल परोपकार की

भारत के लोगों में परोपकार की धारणा बरसों से कायम है। भले ही परोपकार के तरीकों में समय-समय पद बदलाव जरूर आए हों, लेकिन अंततः यही कहा जा सकता है कि लोगों के दिलों में अब भी परोपकार की भावना समाई हुई है। इस बात को एक बार फिर सिद्ध कर दिखाया है, बेंगलूर के आईटी क्षेत्र के दिग्गज अजीम प्रेमजी ने। उन्होंने बिना किसी स्वार्थ के अपनी जानी-मानी कंपनी विप्रो की दौलत में से करीब 88 सौ करोड़ रूपये एक टस्ट को दिया है, जो काबिले तारीफ है। ऐसा कम देखने को मिलता है, जब कोई बड़ा उद्योगपति अपनी कमाई का एक बड़ा… Continue

Added by rajkumar sahu on December 7, 2010 at 12:15pm — 1 Comment

तरक्की और जनमत की ताकत

लोकतंत्र में वोट की ताकत महत्वपूर्ण मानी जाती है और जब इस ताकत का सही दिशा में इस्तेमाल होता है तो इससे एक ऐसा जनमत तैयार होता है, जिससे नए राजनीतिक हालात अक्सर देखने को मिलते हैं। हाल ही में बिहार के 15 वीं विधानसभा के चुनाव में जो नतीजे आए हैं, वह कुछ ऐसा ही कहते हैं। देश में सबसे पिछड़े माने जाने वाले राज्य बिहार में तरक्की का मुद्दा पूरी तरह हावी रहा और प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार का जादू ऐसा चला, जिसके आगे राजनीतिक गलियारे के बड़े से बड़े धुरंधर टिक नहीं सके और वे चारों खाने मात खा गए।… Continue

Added by rajkumar sahu on December 4, 2010 at 4:21pm — No Comments

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"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
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