For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Sanjiv verma 'salil''s Blog – December 2012 Archive (7)

व्यंग्य रचना: हो गया इंसां कमीना... संजीव 'सलिल'

व्यंग्य रचना:

हो गया इंसां कमीना...

संजीव 'सलिल'

*

गली थी सुनसान, कुतिया एक थी जाती अकेली.

दिखे कुछ कुत्ते, सहम संकुचा गठी थी वह नवेली..

कहा कुत्तों ने: 'न डरिए, श्वान हैं इंसां नहीं हम.

आंच इज्जत पर न आयेगी, भरोसा रखें मैडम..

जाइए चाहे जहाँ सर उठा, है खतरा न कोई.

आदमी से दूर रहिए, शराफत उसने है खोई..'



कहा कुतिया ने:'करें हडताल लेकर एक नारा.

आदमी खुद को कहे कुत्ता नहीं हमको गवारा..'

'ठीक कहती हो बहिन तुम, जानवर कुछ तुरत बोले.

मांग हो…

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on December 30, 2012 at 9:08am — 11 Comments

गीत: झाँक रही है... संजीव 'सलिल'

गीत:

झाँक रही है...

संजीव 'सलिल'

*

झाँक रही है

खोल झरोखा

नए वर्ष में धूप सुबह की...  

*

चुन-चुन करती चिड़ियों के संग

कमरे में आ.

बिन बोले बोले मुझसे

उठ! गीत गुनगुना.

सपने देखे बहुत, करे

साकार न क्यों तू?

मुश्किल से मत डर, ले

उनको बना झुनझुना.



आँक रही

अल्पना कल्पना

नए वर्ष में धूप सुबह की...  

*

कॉफ़ी का प्याला थामे

अखबार आज का.

अधिक मूल से मोह पीला

क्यों कहो ब्याज का?

लिए बांह में बांह…

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on December 30, 2012 at 8:56am — 8 Comments

मुक्तिका: संजीव 'सलिल'

मुक्तिका:

संजीव 'सलिल'

*

मगरमच्छ आँसू बहाने लगे हैं।
शिकंजे में मछली फँसाने लगे हैं।।
 
कोयल हुईं मौन अमराइयों में।
कौए गजल गुनगुनाने लगे हैं।।
 
न ताने, न बाने, न चरखा-कबीरा 
तिलक- साखियाँ ही भुनाने लगे हैं।।
 

जहाँ से…

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on December 25, 2012 at 8:30am — 9 Comments

गीत: नया वर्ष है... संजीव 'सलिल'

गीत:

नया वर्ष है...

संजीव 'सलिल'

*

खड़ा मोड़ पर आकर फिर

एक नया वर्ष है...

*

कल से कल का सेतु आज है यह मत भूलो.

पाँव जमीं पर जमा, आसमां को भी छू लो..



मंगल पर जाने के पहले

भू का मंगल -

कर पायें कुछ तभी कहें

पग तले अर्श है.

खड़ा मोड़ पर आकर फिर

एक नया वर्ष है...

*

आँसू न बहा, दिल जलता है, चुप रह, जलने दे.

नयन उनीन्दें हैं तो क्या, सपने पलने दे..



संसद में नूराकुश्ती से

क्या पाओगे?

सार्थक तब जब आम…

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on December 19, 2012 at 2:03pm — 7 Comments

नवगीत: अब तो अपना भाल उठा... संजीव 'सलिल'

नवगीत:

अब तो अपना भाल उठा...

संजीव 'सलिल'

*

बहुत झुकाया अब तक तूने 

अब तो अपना भाल उठा...

*

समय श्रमिक!

मत थकना-रुकना.

बाधा के सम्मुख

मत झुकना.

जब तक मंजिल

कदम न चूमे-

माँ की सौं

तब तक

मत चुकना.



अनदेखी करदे छालों की

गेंती और कुदाल उठा...

*

काल किसान!

आस की फसलें.

बोने खातिर

एड़ी घिस ले.

खरपतवार 

सियासत भू में-

जमी- उखाड़

न न मन-बल फिसले.

पूँछ दबा शासक-व्यालों की…

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on December 19, 2012 at 9:36am — 9 Comments

गीत संजीव 'सलिल'

गीत 

संजीव 'सलिल'

*

क्षितिज-स्लेट पर

लिखा हुआ क्या?...

*

रजनी की कालिमा परखकर,

ऊषा की लालिमा निरख कर,

तारों शशि रवि से बातें कर-

कहदो हासिल तुम्हें हुआ क्या?

क्षितिज-स्लेट पर

लिखा हुआ क्या?...

*

राजहंस, वक, सारस, तोते

क्या कह जाते?, कब चुप होते?

नहीं जोड़ते, विहँस छोड़ते-

लड़ने खोजें कभी खुआ क्या?

क्षितिज-स्लेट पर

लिखा हुआ क्या?...

*

मेघ जल-कलश खाली करता,

भरे किस तरह फ़िक्र न करता.…

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on December 6, 2012 at 1:00pm — 16 Comments

मुक्तिका: है यही वाजिब... संजीव 'सलिल'

मुक्तिका:

है यही वाजिब...

संजीव 'सलिल'

*

है यही वाज़िब ज़माने में बशर ऐसे जिए।

जिस तरह जीते दिवाली रात में नन्हे दिए।।



रुख्सती में हाथ रीते ही रहेंगे जानते

फिर भी सब घपले-घुटाले कर रहे हैं किसलिए?



घर में भी बेघर रहोगे, चैन पाओगे नहीं,

आज यह, कल और कोई बाँह में गर चाहिए।।



चाक हो दिल या गरेबां, मौन ही रहना 'सलिल'

मेहरबां से हो गुजारिश- 'और कुछ फरमाइए'।।



आबे-जमजम  की सभी ने चाह की लेकिन 'सलिल'

कोई तो हो जो ज़हर के घूँट कुछ…

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on December 6, 2012 at 9:22am — 13 Comments

Monthly Archives

2013

2012

2011

2010

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
13 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service