For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

NEERAJ KHARE's Blog – December 2013 Archive (3)

दो कवितायेँ

(1)

आयो मेरे पास आयो

.

देश मेरा उजड़ रहा है

आओ मेरे पास आओ

कितने ही दुख भोग रहा है

आओ मेरे पास आओ

एक तरफ चाकू है चलता

दूसरी तरफ नरसंहार है

आतंकवाद है उससे ऊपर

सबसे ऊपर बलात्कार है

कितनों के दिल तोड़े इसने

घर कितनो के उजाड़े हैं

आँख के तारे छीने इसने

माँग के सिंदूर उजाड़े हैं

पाप की नगरी से डर लगता

आकर मुझको गले लगाओ

तुमसे बिछड़ न जाऊँ कहीं मैं

 आयो मेरे पास…

Continue

Added by NEERAJ KHARE on December 19, 2013 at 9:00pm — 7 Comments

प्यार अमर कर जाएगें (गीत)

खाकर इक दूजे की कसम

हम प्यार अमर कर जाएँगे

कोई रोक सके तो रोक ले हमको

हम न जुदा हो पाएँगे

हम बगिया के फूल नहीं

जो हमको कोई ऊज़ाडेगा

हम ने की नही भूल कोई

जो हम को कोई सुधारेगा

लैला मजनूं के बाद अब हम

इतिहास में नाम लिखाएगें

कोई रोक........................

पतझड़ सावन बसंत बहार

ऋीतुएँ होती हैं ये चार

एक भी मौसम नही है ऐसा

जिसमें हम कर सकें न प्यार

बुरी नज़र जो डालेगा उसका

मुह काला कर…

Continue

Added by NEERAJ KHARE on December 17, 2013 at 7:32pm — 4 Comments

श्रद्धा

रिटायरमेंट के छह महीने बाद कैंसर से पीड़ित बाबूजी के देहांत होने पर परिवार के सभी लोग दुखी थे. किंतु सबसे ज़्यादा दुखी उनका बेटा माखन था, रो रोकर उसका बुरा हाल था इसलिए नही कि उसका बाप मर गया था बल्कि वो यह सोच रहा था कि जब मरना ही था तो नौकरी मे रहते क्यूँ न मरे उसे उनकी जगह नौकरी मिल जाती; उसकी जिंदगी संवर जाती वर्ना लम्बा जीते ताकि उनकी पेंशन से उसका परिवार पल बढ़ जाता.तभी अचानक पड़ोसी ने पूछा दाह संस्कार किस रीति रिवाज़ से करेंगे. माखन अपने मरे बाप का कम से कम पैसे में अंतिम संस्कार करना…

Continue

Added by NEERAJ KHARE on December 16, 2013 at 7:00pm — 11 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service