For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रविकर's Blog – November 2012 Archive (8)

ढूँढ़ लफ्जों को, गजल कहना कठिन है-रविकर

2 1 2 2 2 1 2 2 2 1 2 2

टिप्पणी भी अब नहीं छपती हमारी ।
छापते हम गैर की गाली-गँवारी ।

कक्ष-कागज़ मानते कोरा नहीं अब-
ख़त्म होती क्या गजल की अख्तियारी ।

राष्ट्रवादी आज फुर्सत में बिताते -
कल लड़ेंगे आपसी वो फौजदारी ।

नाक पर उनके नहीं मक्खी दिखाती-
मक्खियों ने दी बदल अपनी सवारी ।

ढूँढ़ लफ्जों को, गजल कहना कठिन है-
चल नहीं सकती यहाँ रविकर उधारी ।।

Added by रविकर on November 26, 2012 at 8:00pm — 12 Comments

जल्दी ही तेरा भी तीजा-

बुरे काम का बुरा नतीजा |
चच्चा बाकी, चला भतीजा ||

गुरु-घंटालों मौज हो चुकी-
जल्दी ही तेरा भी तीजा ||

गाल बजाया चार साल तक -
आज खून से तख्ता भीजा ||

लगा एक का भोग अकेला-
महाकाल हाथों को मींजा |

चौसठ लोगों का शठ खूनी -
रविकर ठंडा आज कलेजा ||

Added by रविकर on November 21, 2012 at 8:45pm — 4 Comments

OBO दीवाली

बीत गया भीगा चौमासा । उर्वर धरती बढती आशा ।

त्योहारों का मौसम आये। सेठ अशर्फी लाल भुलाए ।|

विघ्नविनाशक गणपति देवा। लडुवन का कर रहे कलेवा

माँ दुर्गे नवरात्रि आये । धूम धाम से देश मनाये ।

विजया बीती करवा आया । पत्नी भूखी गिफ्ट थमाया ।

जमा जुआड़ी चौसर ताशा । फेंके पाशा बदली भाषा ।।

एकादशी रमा की आई । वीणा बाग़-द्वादशी गाई ।

धनतेरस को धातु खरीदें । नई नई जागी उम्मीदें ।

धन्वन्तरि की जय जय बोले । तन मन बुद्धि निरोगी होले ।

काली पूजा बंगाली की ।…

Continue

Added by रविकर on November 12, 2012 at 5:17pm — 3 Comments

पिए रविकर विष खारा-

सकारात्मक पक्ष से, कभी नहीं हो पीर |
नकारात्मक छोड़िये, रखिये मन में धीर |

रखिये मन में धीर, जलधि-मन मंथन करके |
देह नहीं जल जाय, मिले घट अमृत भरके |

करलो प्यारे पान, पिए रविकर विष खारा |
हो जग का कल्याण, सही सिद्धांत सकारा ||

Added by रविकर on November 8, 2012 at 6:35pm — 7 Comments

मँझा माफिया रोज, भूमि का करे कलेवा-

 

अय्यासी में हैं रमे, रोम रोम में काम ।
बनी सियासी सोच अब, बने बिगड़ते नाम ।

बने बिगड़ते नाम, मातृ-भू देती मेवा ।
मँझा माफिया रोज, भूमि का करे कलेवा ।

बेंच कोयला खनिक, बनिक बालू की राशी ।
काशी में क्यूँ मरे, स्वार्गिक जब अय्यासी ।।

Added by रविकर on November 8, 2012 at 12:30pm — 8 Comments

इश्क का ज्वार

खींचा-खींची कर रहे, इक दूजे की चीज ।

सोम सँभाले स्वयं सब, भूमि रही है खीज ।

भूमि रही है खीज, सभी को रखे पकड़ के ।

पर वारिधि सुत वारि, लफंगा बढ़ा अकड़ के ।

चाह चाँदनी चूम, हरकतें बेहद नीची ।

रत्नाकर आवेश, रोज हो खींचा खींची ।।

Added by रविकर on November 7, 2012 at 9:14am — 3 Comments

पाजी शहजादा | मुश्किल में काजी ।।

आभार आदरणीय सौरभ जी -

2 2 2 2 2

हारे हो बाजी ।

छोड़ो लफ्फाजी ।|

होती है गायब -

वो कविताबाजी ।।

पल में मर जाती

रचनाएं ताज़ी ।।

दिल्ली से लौटे -

होते हैं हाजी ।।

पाजी शहजादा

मुश्किल में काजी ।।

रिश्वत पर आधी ।

रविकर भी राजी ।।

Added by रविकर on November 6, 2012 at 6:52pm — 1 Comment

गजल कहने की कोशिश जारी है-

मोटी-चमड़ी पतला-खून ।
नंगा भी पहने पतलून ।

भेंटे नब्बे खोखे नोट -
भांजे दर्शन अफलातून ।

भुना शहीदी दादी-डैड
*शीर्ष-घुटाले लगता चून ।
*सिर मुड़ाना / चोटी के घुटाले

पंजा बना शिकंजा खूब-
मातु-कलेजी खाए भून ।

मिली भगत सत्ता पुत्रों से
लूटा तेली लकड़ी-नून ।

दस हजार की रविकर थाल
उत फांके हों दोनों जून ।

Added by रविकर on November 3, 2012 at 5:00pm — 10 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service