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Saurabh Pandey's Blog – November 2020 Archive (1)

बहुत चुनावी शोर : पाँच दोहे // सौरभ

हमें अबूझा ही लगा, लोकतंत्र का रूप ..

रात-रात भर मंत्रणा, करती व्याकुल धूप !

 

कैसे कितना कौन कब, किसे लगाता तेल

गणना-गणित चुनाव का, भितरघात-धुरखेल

 

बहुत कमीने रहनुमा, क्या हम बाँधें आस

इंद्रमंच पर बैठ कर, करते हैं बकवास ।।

 

दिखा-दिखा वह तर्जनी, पुलक रहा हर बार

मालिक हम भी जानते, क्या होती सरकार !!

 

राजा-राजा खेलते, बेवकूफ हम रंक !

उँगली थामे सोचिए, दाग लगा या डंक ?

***

सौरभ

(मौलिक और…

Continue

Added by Saurabh Pandey on November 3, 2020 at 8:00pm — 4 Comments

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