For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सतविन्द्र कुमार राणा's Blog – November 2016 Archive (7)

गीतिका/सतविन्द्र कुमार राणा

आधार छन्द -- वाचिक भुजंगप्रयात

मापनी - 122 122 122 122

समान्त-- आ

पदान्त -- है

गीतिका

-------------------------------------------



बिना कर्म के कब किसे कुछ मिला है

करे कर्म जो साथ उसके खुदा है।



लिए माल को आज चिल्ला रहा जो

गरीबी है' क्या वो नहीं जानता है।



सदा श्रम से' सींचा है' जिसने जमीं को

उसी से ही' तो अन्न सबको मिला है।



नहीं मिलता' उसको जो है चाहता वो

बहुत कुछ मगर उसने सब को दिया है।



सही कर्म… Continue

Added by सतविन्द्र कुमार राणा on November 28, 2016 at 7:48pm — 13 Comments

बढ़ रहा दर्द है औ दवा कुछ नहीं/सतविन्द्र कुमार राणा

212 212 212 212

बढ़ रहा दर्द है औ दवा कुछ नहीं

फिर भी होठों पे तेरे दुआ कुछ नहीं।



मर मिटा एक मुफ़लिस किसी शौक से

पर अमीरी नजर में हुआ कुछ नहीं।



हौंसलों से बनें काम सब जान लो

बुज़दिली से कभी तो बना कुछ नहीं।



बस तग़ाफ़ुल तेरा है बड़ा कीमती

इश्क से वास्ता अब रहा कुछ नहीं।



काम आलिम का होता बड़ा साथियो

सीखना उन बिना तो हुआ कुछ नहीं।



ज्यों जिए जा रहे बढ़ रही हसरतें

*जिंदगी हसरतों के सिवा कुछ नहीं।*



हर तरफ इस… Continue

Added by सतविन्द्र कुमार राणा on November 24, 2016 at 9:59am — 16 Comments

अभी आई है पतझड़ ये बहार कभी तो आएगी(गजल)/सतविन्द्र कुमार राणा

1222 1222 1222 1222



अभी आई है पतझड़ ये बहार कभी तो आएगी

खिलेंगे फूल खुशियों के सुकूँ देकर ही जाएगी।



जुदाई सह नहीं पाया हुआ था दर्द सीने में

उसे ही याद है रक्खा वही जीना सिखाएगी।



जो जोड़ी चोर ने दौलत नहीं कुछ काम है आई

छुपाने की रही कौशिश दिखाई तो फ़ँसाएगी।



बड़े अरमान से चाहा, जिसे पूजा,जिसे माना

नहीं यह जान पाए थे वही हमको सताएगी।



लगाया जोर था जिसको बड़ी ऊपर ले जाने में

नहीं अच्छी बनी सीढ़ी तुझे नीचे… Continue

Added by सतविन्द्र कुमार राणा on November 20, 2016 at 4:18pm — 7 Comments

प्यार हमें तो बस करना है(ग़ज़ल)/सतविन्द्र कुमार राणा

बह्र ए मीर
22 22 22 22

प्यार हमें तो बस करना है
साथ ही जीना औ मरना है।

दुनिया जो जी चाहे करले
बिल्कुल भी नहीं डरना है।

जिसने लूटा अब तक सबको
उसका घर तो नहीं भरना है।

कष्ट मिलें अब तक जनता को
उन सबको मिलकर हरना है।

राणा साथ जरूरी सबका
अब गर्दिश से गर तरना है।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by सतविन्द्र कुमार राणा on November 17, 2016 at 9:00pm — 4 Comments

यार गर फिर बावफ़ा हो जाएगा(ग़ज़ल)/सतविन्द्र कुमार राणा

बह्र2122 2122 212



यार गर फिर बावफ़ा हो जाएगा

प्यार मेरा फिर हरा हो जाएगा।



साथ मिल कोशिश करें सब ही सही

तो जहाँ फिर खुशनुमा हो जाएगा।



हाँ पकड़ कर बह्र को गर तुम चलो

तो गजल कहना भला हो जाएगा।



हो अकेले में जरा गर हौंसला

फिर तो पीछे काफिला हो जाएगा।



हो सही हिम्मत खुदी में दोस्तो

साथ में फिर तो खुदा हो जाएगा।



साथ रहकर बात हमदम से करो

छोड़ते ही बेवफ़ा हो जाएगा।



कुछ मुहब्बत जो करें कुदरत से…

Continue

Added by सतविन्द्र कुमार राणा on November 10, 2016 at 1:30pm — 4 Comments

हाँ रोते को हँसाना चाहता है(ग़ज़ल)/सतविन्द्र कुमार राणा

1222 1222 122
हाँ रोते को हँसाना चाहता है
ये दिल ऐसा बहाना चाहता है।

है जीना ठीक खातिर दूसरों की
यही सबको बताना चाहता है।

हमेशा से शरारत को बढ़ाया
शराफत आजमाना चाहता है।

जमीं जो बर्फ रिश्तों पे दिखाई
उसी को अब गलाना चाहता है।

फ़िजा में फैलता है जो कुहासा
उसे ही तो हटाना चाहता है।

चला इंसानियत की राह 'राणा'
वही खुद मुस्कराना चाहता है।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by सतविन्द्र कुमार राणा on November 7, 2016 at 9:35pm — 4 Comments

ग़ज़ल/सतविन्द्र कुमार राणा

बह्र:2122 2122 2122 212

--

बातें ही बातें रही हैं आज करने के लिए

हामी उसने अब भरी ना साथ चलने के लिए।



गिर रहे हर बार फिर भी अक्ल तो आई नहीं

एक ठोकर ही सही है बस सँभलने के लिए।



घुल फ़िजा में अब गया है जह्र चारों ही तरफ

ना जमीं ही है बची कोई टहलने के लिए।



चाहता है सीखना तो कर सही कौशिश सभी

फौरी पढ़ना कब सही है कुछ समझने के लिए।



ना रुकावट से डरे जो वो बढ़े राणा सही

हाँ ,मगर कुछ रास्ते भी हों तो चलने के… Continue

Added by सतविन्द्र कुमार राणा on November 2, 2016 at 11:21pm — 4 Comments

Monthly Archives

2025

2024

2023

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

1999

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service