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नाथ सोनांचली's Blog – November 2016 Archive (1)

गर्दिश में पैमाना है

*22 22 22 22 22 22 22 2*



आज बहुत सुनसान पड़ा क्यूँ, दिल का ये मैखाना है

साकी रूठ गया है मुझसे, गर्दिश में पैमाना है।



जश्न मनाते लोग यहाँ अब, बंद कपाटो के पीछे

होटल में ले जाते उनको, जब भी पड़े खिलाना है।।



देते खबर पडोसी की अब, हमको भी अखबार यहाँ।

कैद हुए है घर में सारे, सीमित हुआ ठिकाना है।।



भरी पड़ी है फ्रेंड लिस्ट भी फेसबुकी दिलदारों से

कांधा लोग नहीं देंगे पर, खुद ही बोझ उठाना है।।



नुक्कड़ पर अब लोग नही है, मिलती है… Continue

Added by नाथ सोनांचली on November 21, 2016 at 5:30am — 7 Comments

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