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सूबे सिंह सुजान's Blog – August 2012 Archive (7)

ग़ज़ल--जिंदगी एक रेल होती है.......

जिंदगी एक रेल होती है
ये न समझो कि खेल होती है।

जिंदगी का सफर बहुत लम्बा,
रूक गये तो ये फेल होती है।

वो जहाँ चाहे मोड दे हमको,
हाथ उसके नकेल होती है।

आजकल जिंदगी की भागमभाग,
पानी कम ज्यादा तेल होती है।

आज कानून ही बदल गया है,
बोल दो सच तो जेल होती है।

अब तो राशन की लाइने या सडक,
हर जगह धक्का पेल होती है।।।।

सूबे सिंह सुजान

Added by सूबे सिंह सुजान on August 24, 2012 at 11:00pm — 10 Comments

दो हाइकु- समय कहे।

1.

समय कहे।

जीवन रहा सदा,

जीवन रहे।।

2.

ये समंदर ।

मरता नहीं कभी,

मरी लहर।।

Added by सूबे सिंह सुजान on August 23, 2012 at 12:59am — 4 Comments

प्रेम ग़ज़ल

इस तरह दूर वो आजकल हो गई।

जैसे इस शहर की बिजली गुल हो गई।

देह तेरी  किसी  बेल  जैसी लगे,

आई बरसात धुलकर नवल हो गई।

इस तरह रास्ते और लम्बे हुये,

जैसे के मेरी लम्बी ग़ज़ल हो गई।

बेवफा क्या बताऊँ तेरी बाट में,

प्यार की बर्फ पिघली,और जल हो गई।

आम की भोर पर भंवरे जो आ गये

मुस्कुराहट मधुरता  का  फल हो गई।

एक बरसात आई तुम्हारी तरह,

और जोहड में खिल कर कमल हो गई।।

                                      सूबे सिंह…

Continue

Added by सूबे सिंह सुजान on August 21, 2012 at 10:18pm — 20 Comments

एक हाइकु

नाराज़गी है।

किस बात की भला,

लो मैं तो चला।।।

                  सूबे सिंह सुजान

Added by सूबे सिंह सुजान on August 19, 2012 at 10:58pm — 1 Comment

हवा की कोई आवाज नहीं होती।

हवा की कोई आवाज नहीं होती,

आवाज तो पेड-पौधों के पत्तों की होती है।

हवा तो चलती है

सब से मिलती है

सबसे बात भी करती है

फिर भी बोलती नहीं

सबको गुदगुदाती है,

हंसाती है,

और थपथपा कर दौड जाती है।

अकेली हो कर भी सबकी हो जाती है।

अगर तुम नाराज़ भी हो जाओ

तुम्हें झट से मना लेती है

और तुम तपाक से मान जाते हो।

लेकिन फिर भी हवा की कोई आवाज नहीं होती

आवाज आपकी होती है।

नाम आपका होता है।

काम हवा…

Continue

Added by सूबे सिंह सुजान on August 17, 2012 at 10:22pm — 2 Comments

कविता--जीवन नहीं बीतता।

सांस चली जाती है।

क्योंकि सांस चलती है।

आत्मा चहुँ ओर व्याप्त है।

आत्मा नहीं मरती।

जीवन भी नहीं मरता।

जीवन चलता रहता है।

जीवन नहीं मरता।

जीवन नहीं बीतता।

मैं मर गया,तो जीवन थोडे ही मर जाएगा।

जीवन आत्मा स्वरूप है।

दुबारा कहूँ तो

परमात्मा स्वरूप है।

जीवन नहीं बीतता।

-----------------सूबे सिंह सुजान..............

Added by सूबे सिंह सुजान on August 17, 2012 at 5:51pm — 3 Comments

जीवन नहीं बीतता।

Added by सूबे सिंह सुजान on August 17, 2012 at 5:33pm — No Comments

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