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सुरेश कुमार 'कल्याण''s Blog – August 2025 Archive (3)

भादों की बारिश

भादों की बारिश
(लघु कविता)
***************

लाँघ कर पर्वतमालाएं
पार कर
सागर की सर्पीली लहरें
मैदानों में दौड़ लगा
थकी हुई-सी
धीरे-धीरे कदम बढ़ाती
आ जाती है
बिना आहट किए
यह बूढ़ी
भादों की बारिश।

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Added by सुरेश कुमार 'कल्याण' on August 25, 2025 at 7:36pm — No Comments

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)

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छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।

लहराता अब धरा - चाँद पर, करता मन को ठंडा।।

छन्न पकैया - छन्न पकैया, देश जान से प्यारा।

हम सबके ही मन में बहती, देश प्रेम की धारा।।

छन्न पकैया- छन्न पकैया, दुर्गम अपनी राहें।

मन में है कोमलता बसती, फ़ौलादी हैं बाँहें।।

छन्न पकैया- छन्न पकैया, हम भारत के फौजी।

तन पर सहते कष्ट हज़ारों, फिर भी मन के…

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Added by सुरेश कुमार 'कल्याण' on August 19, 2025 at 1:00pm — 3 Comments

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)

********************

जैसे किसी तालाब का

सारा जल सूखकर

तलहटी में फट गई हों गहरी दरारें 

कुछ वैसी ही लग रही थी

उस वृद्ध की एड़ियां 

शायद तपा होगा वह भी 

उस तालाब सा कर्त्तव्य की धूप में 

अर्पित कर दिया होगा

अपने रक्त का कतरा - कतरा

अपनों को पालने में।

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Added by सुरेश कुमार 'कल्याण' on August 18, 2025 at 1:00pm — 3 Comments

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