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शोध पेपर इक कहानी ऐसी बनते जा रहे हैं
जिसमे नित नव कल्पना के पंख लगते जा रहे है
सारी दुनिया के रसायन आज हैराँ सोचकर ये
हम जहाँ जुड़ ही नहीं सकते थे जुड़ते जा रहे हैं
आदमी कब व्याधियों से मुक्त होगा रब ही जाने
शोध', चूहे -खरहों के पर प्राण हरते जा रहे हैं
मोतियों से दांत दिखला पेस्ट जो करते प्रचारित
नीम की दातून से निज दांत घिसते जा रहे हैं
रोज अखबारों को पढ़कर दे रहे हैं…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on August 14, 2016 at 11:09am — 5 Comments
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