For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Sanjiv verma 'salil''s Blog – August 2011 Archive (8)

मुक्तिका: ये शायरी जबां है --- संजीव 'सलिल'

मुक्तिका:



संजीव 'सलिल'

*

ये शायरी जबां है किसी बेजुबान की.

ज्यों महकती क्यारी हो किसी बागबान की..



आकाश की औकात क्या जो नाप ले कभी.

पाई खुशी परिंदे ने पहली उड़ान की..



हमको न देखा देखकर तुमने तो क्या हुआ?

दिल ले गया निशानी प्यार के निशान की..



जौहर किया या भेज दी राखी अतीत ने.

हर बार रही बात सिर्फ आन-बान की.



उससे छिपा न कुछ भी रहा कह रहे सभी.

किसने कभी करतूत कहो खुद बयान की..



रहमो-करम का आपके सौ…

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on August 31, 2011 at 12:00am — 3 Comments

दोहा सलिला: दोहा का रंग यमक के संग ---संजीव 'सलिल'

दोहा सलिला:
दोहा का रंग यमक के संग
-- संजीव 'सलिल'
*
ठाकुर जी को सर झुका, ठाकुर करें प्रणाम. 
कारिंदे मुस्का रहे, पड़ा आज फिर काम.. 
*
नम न हुए कर नमन तो, समझो होती भूल.
न…
Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on August 27, 2011 at 8:46am — 3 Comments

एक गीत- अमराई कर दो... संजीव 'सलिल'

एक गीत-

अमराई कर दो...

संजीव 'सलिल'

*

कागा की बोली सुनने को

तुम कान लगाकर मत बैठो.

कोयल की बोली में कूको,

इस घर को  अमराई कर दो...

*

तुमसे मकान घर लगता है,

तुम बिन न कहीं कुछ फबता है..

राखी, होली या दीवाली

हर पर्व तुम्हीं से सजता है..

वंदना आरती स्तुति तुम

अल्पना चौक बंदनवारा.

सब त्रुटियों-कमियों की पल में

मुस्काकर भरपाई कर दो...

*

तुम शक्ति, बुद्धि, श्री समता हो.

तुम दृढ़ विनम्र शुचि ममता हो..…

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on August 26, 2011 at 7:26pm — 6 Comments

सामयिक कुण्डलिनी छंद : रावण लीला देख --संजीव 'सलिल'

सामयिक कुण्डलिनी छंद :

रावण लीला देख

--संजीव 'सलिल'

*

लीला कहीं न राम की, रावण लीला देख.

मनमोहन है कुकर्मी, यह सच करना लेख..

यह सच करना लेख काटेगा इसका पत्ता.

सरक रही है इसके हाथों से अब सत्ता..

कहे 'सलिल' कविराय कफन में ठोंको कीला.

कभी न कोई फिर कर पाये रावण लीला..

*

खरी-खरी बातें करें, करें खरे व्यवहार.

जो कपटी कोंगरेस है,उसको दीजे हार..

उसको दीजै हार सबक बाकी दल लें लें.

सत्ता पाकर जन अधिकारों से मत खेलें..

कुचले जो… Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on August 18, 2011 at 3:19pm — 5 Comments

स्वतंत्रता दिवस पर विशेष गीत: सारा का सारा हिंदी है -----संजीव 'सलिल'

 

स्वतंत्रता दिवस पर विशेष गीत:



सारा का सारा हिंदी है…

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on August 13, 2011 at 8:30am — 3 Comments

दोहा सलिला: गले मिले दोहा यमक... संजीव 'सलिल'





दोहा सलिला:

गले मिले दोहा यमक...

संजीव 'सलिल'


*

गले मिले दोहा यमक, झपक लपक बन मीत.

गले भेद के हिम शिखर, दमके श्लेष सुप्रीत..


गले=कंठ, पिघले.



पीने दे रम जान अब, ख़त्म हुआ रमजान.

कल पाऊँ, कल का पता, किसे? सभी अनजान..


रम=शराब, जान=संबोधन, रमजान=एक महीना, कल=शांति, भविष्य.



अ-मन नहीं उन्मन मनुज, गँवा अमन बेचैन.

वमन न चिंता का किया, दमन सहे क्यों चैन??


अ-मन=मन…

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on August 11, 2011 at 10:00am — 7 Comments

बाल गीत: बरसे पानी --संजीव 'सलिल'

बाल गीत:

बरसे पानी

संजीव 'सलिल'

*

रिमझिम रिमझिम बरसे पानी.

आओ, हम कर लें मनमानी.



बड़े नासमझ कहते हमसे

मत भीगो यह है नादानी.



वे क्या जानें बहुतई अच्छा

लगे खेलना हमको पानी.



छाते में छिप नाव बहा ले.

जब तक देख बुलाये नानी.



कितनी सुन्दर धरा लग रही, …

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on August 6, 2011 at 10:30am — 6 Comments

मुक्तिका: ..... बना दें --संजीव 'सलिल'

मुक्तिका:

..... बना दें

संजीव 'सलिल'

*

'सलिल' साँस को आस-सोहबत बना दें.

जो दिखलाये दर्पण हकीकत बना दें.. 



जिंदगी दोस्ती को सिखावत बना दें..

मदद गैर की अब इबादत बना दें.



दिलों तक जो जाए वो चिट्ठी लिखाकर.

कभी हो न हासिल, अदावत बना दें..



जुल्मो-सितम हँस के करते रहो तुम.

सनम क्यों न इनको इनायत बना दें?



रुकेंगे नहीं पग हमारे कभी भी.

भले खार मुश्किल बगावत बना दें..



जो खेतों में करती हैं मेहनत…

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on August 1, 2011 at 11:30am — 4 Comments

Monthly Archives

2013

2012

2011

2010

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. शिज्जू भाई,,, मुझे तो स्कॉच और भजिये याद आए... बाकी सब मिथ्याचार है. 😁😁😁😁😁"
18 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तुम्हें अठखेलियों से याद आया मुझे कुछ तितलियों से याद आया  टपकने जा रही है छत वो…"
19 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय दयाराम जी मुशायरे में सहभागिता के लिए हार्दिक बधाई आपको"
22 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय निलेश नूर जीआपको बारिशों से जाने क्या-क्या याद आ गया। चाय, काग़ज़ की कश्ती, बदन की कसमसाहट…"
23 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, मुशायरे के आग़ाज़ के लिए हार्दिक बधाई, शेष आदरणीय नीलेश 'नूर'…"
26 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"ग़ज़ल — 1222 1222 122 मुझे वो झुग्गियों से याद आयाउसे कुछ आँधियों से याद आया बहुत कमजोर…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"अभी समर सर द्वारा व्हाट्स एप पर संज्ञान में लाया गया कि अहद की मात्रा 21 होती है अत: उस मिसरे को…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"कहाँ कुछ मंज़िलों से याद आया सफ़र बस रास्तों से याद आया. . समुन्दर ने नदी को ख़त लिखा है मुझे इन…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. जयहिन्द रायपुरी जी,पहली बार आपको पढ़ रहा हूँ.तहज़ीब हाफ़ी की इस ग़ज़ल को बाँधने में दो मुख्य…"
3 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"सादर अभिवादन तुम्हारी ख़्वाहिशों से याद आया हमें कुछ तितलियों से याद आया मैं वो सब भूल जाना चाहता…"
3 hours ago
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।प्रस्तुत…See More
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"प्रस्तुति को आपने अनुमोदित किया, आपका हार्दिक आभार, आदरणीय रवि…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service