For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Naveen Mani Tripathi's Blog – August 2016 Archive (7)

ग़ज़ल - लिखता मिला मज़ार पे अरमान आदमी

2212 121 1221 212

खोने लगा यकीन है अनजान आदमी ।

जब से बना है मौत का सामान आदमी ।।



बाज़ार सज रहे हैं नए जिस्म को लिए ।

बनकर बिका है मुल्क में दूकान आदमी ।।



ठहरो मियां हराम न खैरात हो कहीं ।

माना कहाँ है वक्त पे एहसान आदमी ।।



दरिया में डालता है वो नेकी का हौसला ।

देखा खुदा के नाम परेशान आदमी ।।



मजहब तो शर्मशार तेरी हरकतों पे है ।

कुछ मजहबी इमाम भी शैतान आदमी ।।



मतलब परस्तियों का जरा देखिये सितम ।

बेचा…

Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on August 30, 2016 at 2:30am — 5 Comments

ग़ज़ल - निकले तमाम हाथ तिरंगे लिए हुए

(बलोचिस्तान के ताज़ा हालात पर )



2212 1 21 12 212 12

कुछ मुद्दतो के बाद सही फैसले हुए ।

निकले तमाम हाथ तिरंगे लिए हुए ।।



मत पूछिए गुनाह किसी के हिजाब का ।

देखा कसूरवार के शिकवे गिले हुए ।।



हालात पराये है किसी के दयार में ।

है वक्त बेहिसाब बड़े हौसले हुए ।।



तकसीम कर रहा था हमारा मकान जो।

शायद उसी के घर में कई जलजले हुए ।।



पत्थर न फेंकिए है शहीदों का कारवां ।

कैसे हिमाकतों से लगे सिलसिले हुए ।।



कातिल तेरा… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on August 27, 2016 at 1:33am — 9 Comments

ग़ज़ल - मेरे दर्दे गम की कहानी न पूछो

122 122 122 122



मेरे दर्दो गम की कहानी न पूछो ।

मुहब्बत की कोई निशानी न पूछो ।।



बहुत आरजूएं दफन मकबरे में ।

कयामत से गुजरी जवानी न पूछो ।।



मुझे याद है वो तरन्नुम तुम्हारा ।

ग़ज़ल महफ़िलों की पुरानी न पूछो ।।



हुई रफ्ता रफ्ता जवां सब अदाएं ।

सितम ढा गयी कब सयानी न पूछो ।।



बयां हो गई इश्क की हर हकीकत ।

समन्दर की लहरों का पानी न पूछो ।।



सलामी नजर से नज़र कर गयी थी ।

वो चिलमन से नज़रें झुकानी न पूछो…

Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on August 23, 2016 at 10:00pm — 7 Comments

ग़ज़ल - वो दिल मांगते दिल बसाने से पहले

122 122 122 122



तेरी बज्म में कुछ सुनाने से पहले ।

मैं रोया बहुत गुनगुनाने से पहले ।।



न बरबाद कर दें ये नजरें इनायत ।

वो दिल मांगते दिल बसाने से पहले ।।



है इन मैकदों में चलन रफ्ता रफ्ता ।

करो होश गुम कुछ पिलाने से पहले ।।



तेरे हर सितम से सवालात इतना ।

मैं लूटा गया क्यूँ जमाने से पहले ।।



बदल जाने वाले बदल ही गया तू ।

मुहब्बत की कसमें निभाने से पहले ।।



ख़रीदार निकला है वो आंसुओं का ।

जो आकर गया…

Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on August 22, 2016 at 9:00pm — 10 Comments

ग़ज़ल

सुना है दिल लगाने में बहुत मशहूर है दिल्ली ।

मुझे कह कर गई है वो अभी तो दूर है दिल्ली ।।



जहाँ हर शाम ढलती हो मैकदों को सजाने में ।

कहा अक्सर ज़माने ने नशे में चूर है दिल्ली ।।



चली आती है ख़्वाबों में हजारों दास्ताँ लेकर ।

तुम्हारे जुर्म से होने लगी बेनूर है दिल्ली ।।



सड़क के हादसों के नाम पर लूटी गयी है वो ।

दफ़न कुछ आबरू करके बड़ी मगरूर है दिल्ली।।



सितमगर की कहानी पूछती शरहद की वो लाशें ।

न जाने किस मुरव्वत में लगी मजबूर है दिल्ली… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on August 19, 2016 at 10:51pm — 1 Comment

ग़ज़ल

हरी रंगत गुलाबी सुर्खरूं चेहरा मचल जाए ।

मेरी महफ़िल में आ जाओ मिरा रुतबा बदल जाए ।।



नजाकत से भरी नजरों से छलके जाम है तेरे ।

अंधेरी रात किस्मत में जरा सूरज निकल जाए ।।



बड़ी मासूमियत से कत्ल करने का हुनर तुझमे ।

मेरे कातिल चला शमसीर तेरा दिल बहल जाए ।।



हमारी हर कलम तो सिर्फ तेरी जीत लिखती है ।

तेरी जुल्फों के साये में चलो लिक्खी गजल जाए ।।



खुदा महफूज रक्खे उन रकीबों के नजारों से ।

कहीं ये वक्त से पहले न तेरा हुस्न ढल जाए… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on August 18, 2016 at 10:02pm — 12 Comments

ग़ज़ल: अंदाज कातिलों के बेहतरीन बहुत हैं

अंदाज कातिलों के बेहतरीन बहुत हैं ।

कुछ शख्स इस शहर में नामचीन बहुत हैं ।।



वो खैर मांगते रहे बुरहान की सदा।

उसकी दुआ में पेश हाज़रीन बहुत हैं ।।



आज़ाद मीडिया है अदावत का तर्जुमा ।

गुमराह हर खबर पे नाज़रीन बहुत हैं ।।



जब भी जला वतन तो जश्ने रात आ गयी ।

दैरो हरम के पास मजहबीन बहुत हैं ।।



मिटते हैं वही मुल्क बड़े जोर- शोर से ।

बैठे जहाँ घरों में फिदाईन बहुत हैं ।।



मेरी बलूच आसुओं पे जब नज़र गई ।

वो हुक्मरान देखिए…

Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on August 18, 2016 at 11:00am — 6 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आदाब, ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएँ, गुणीजनों की इस्लाह से ग़ज़ल…"
17 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, इस्लाह और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आदाब,  ग़ज़ल पर आपकी आमद बाइस-ए-शरफ़ है और आपकी तारीफें वो ए'ज़ाज़…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज भाईजी के प्रधान-सम्पादकत्व में अपेक्षानुरूप विवेकशील दृढ़ता के साथ उक्त जुगुप्साकारी…"
9 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"   आदरणीय सुशील सरना जी सादर, लक्ष्य विषय लेकर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
10 hours ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"गत दो दिनों से तरही मुशायरे में उत्पन्न हुई दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की जानकारी मुझे प्राप्त हो रही…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मोहतरम समर कबीर साहब आदाब,चूंकि आपने नाम लेकर कहा इसलिए कमेंट कर रहा हूँ।आपका हमेशा से मैं एहतराम…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सौरभ पाण्डेय, इस गरिमामय मंच का प्रतिरूप / प्रतिनिधि किसी स्वप्न में भी नहीं हो सकता, आदरणीय नीलेश…"
11 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर सर,वैसे तो आपने उत्तर आ. सौरब सर की पोस्ट पर दिया है जिस पर मुझ जैसे किसी भी व्यक्ति को…"
12 hours ago
Samar kabeer replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"प्रिय मंच को आदाब, Euphonic अमित जी पिछले तीन साल से मुझसे जुड़े हुए हैं और ग़ज़ल सीख रहे हैं इस बीच…"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, किसी को किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं है. दुराग्रह छोड़िए, दुराव तक नहीं…"
19 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service