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नाथ सोनांचली's Blog – May 2022 Archive (2)

तथागत बुद्ध वंदना (दुर्मिल सवैया पर आधारित)

गहरे तुम ध्यान समाधि लिए  अभया  अमिताभ गतागत हो

मुनि सोच पुनीत अथाह धरे  करते  सबका  हिय स्वागत हो

मुखमंडल तेज लगे इस भांति कि सत्य विनायक आगत हो

तुम पंकज मध्य सुवासित सम्यक  गौतम  बुुद्ध तथागत हो।।1

तप से तप  धम्म सहिष्णु बने न किसी पर स्थावर क्रुद्ध हुए

जब तर्क अकाट्य सुना  जग ने सब ढोंग प्रपंच निरूद्ध हुए

अरु हिंसक वृत्ति रुकी जग की जन कर्म विचार विशुद्ध हुए

अपना सब दीप  स्वयं बनिये  कह  गौतम  से मुनि बुद्ध हुए।।2

नाथ…

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Added by नाथ सोनांचली on May 30, 2022 at 6:00am — 2 Comments

अर्धांगिनी को समर्पित (दुर्मिल सवैया पर आधारित)

तुम फूल कली तुम चन्द्र मुखी तुम स्वर्ग परी चित चंचल हो

तुम लौकिक केवल देह  नहीं  मकरन्द  भरा नव  कोंपल हो

तुम भ्रांति नहीं अनुभूति प्रिये तुम पुष्प कली सम कोमल हो

तुम पादप पल्लव हार  प्रिये तुम  गंग नदी  सम  निर्मल  हो।।1

तुम निश्छल  प्रेम भरी  गगरी ऋतु पावस सी मनभावन हो

तुम हो इक नाम समर्पण का  तुम  रूप  प्रसून  सुहावन हो

तुम प्राणप्रिया शुचिता वनिता तुम ही रखती  घर  पावन हो

तुम प्रान सुधा घनश्याम  घटा उर  में बरसे वह सावन…

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Added by नाथ सोनांचली on May 25, 2022 at 12:39pm — 6 Comments

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