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Dr Ashutosh Mishra's Blog – April 2015 Archive (4)

मुझको आता है तरस अब उस क़ज़ा पे

२१२२ २१२२ २१२२

दर्द दिल में ऑसू टपके हैं धरा पे

कुछ लिखूंगा तो लिखूंगा में जफा पे  



तुम न होते ज़िन्दगी में गर मेरी तो

मैं कभी कुछ कह नहीं पाता बफा पे



रख के सर जानो पे मरने की तमन्ना

और मत जिंदा मुझे रख तू दवा पे



लोग जिससे खौफ अब भी खा रहे

मुझको आता है तरस अब उस क़ज़ा पे



गोपियों सा प्रेम दिल में जब भी होगा

कृष्ण भागे आयेंगे तेरी सदा पे



पापियों के पाप से धरती हिली जब

थी कहानी दर्द की वादे सवा पे…

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Added by Dr Ashutosh Mishra on April 30, 2015 at 5:30pm — 22 Comments

जिन्दगी के गीत गाता आदमी रो जायेगा

२१२२    २१२२    २१२२   २१२

जिन्दगी के गीत गाता आदमी रो जायेगा

जिस घड़ी पत्थर का ये दिल मोम सा हो जायेगा

 

भूख से बेहाल बच्चा जो न सोया अब तलक

माँ अगर लोरी सुना दे भूखा ही सो जायेगा

 

आज तक मंदिर न जाकर कर दिया जो पाप है

माँ की सेवा से मिला आशीष वो धो जायेगा

 

मुतमइन था देख कर मैले में इंसानों की भीड़

तब न सोचा था,यहाँ बच्चा मेरा खो जाएगा

 

मानती जिस को थी दुनिया इक मसीहा आज…

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Added by Dr Ashutosh Mishra on April 22, 2015 at 1:00pm — 15 Comments

हुस्न का जादू जहाँ चल जायेगा

२१२२   २१२२   २१२

 हुस्न का जादू जहाँ चल जायेगा  

रिन्दों का दिल भी बहाँ जल जायेगा 

जुल्फों को अपनी बिखेरेंगे वो जब 

उस घड़ी ये तय है दिन ढल जायेगा 

आ गए वो मौत से पहले मेरी 

वक़्त मेरी मौत का टल जायेगा 

हुस्न की मुझ पे इनायत हो गयी 

ये रकीबों को मेरे खल जायेगा 

उनसे मिलते वक़्त ये सोचा नहीं 

दिल में पौदा प्यार का पल जायेगा 

मौलिक व अप्रकाशित 

Added by Dr Ashutosh Mishra on April 11, 2015 at 10:30am — 3 Comments

मेरी पलकें नम हुईं ज्यों आपको क्या हो गया

२१२२  २१२२  २१२२  २१२ 

 

मेरी पलकें नम हुईं ज्यों आपको क्या हो गया 

मेरा तो हर ख्वाब टूटा क्या तुम्हारा खो गया 

 

शख्स  जो कहता था मुझसे राह अब उसकी जुदा है 

देख कर मुझको नशे में, बालकों सा रो…

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Added by Dr Ashutosh Mishra on April 10, 2015 at 11:00am — 9 Comments

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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
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