विश्व कविता दिवस की हार्दिक शुभकामना।
32 मात्रिक छंद "रस और कविता"
मोहित होता जब कोई लख, पग पग में बिखरी सुंदरता।
दाँतों तले दबाता अंगुल, देख देख जग की अद्भुतता।।
जग-ज्वाला से या विचलित हो, वैरागी सा शांति खोजता।
ध्यान भक्ति में ही खो कर या, पूर्ण निष्ठ भगवन को भजता।।
या विरहानल जब तड़पाती, धू धू कर के देह जलाती। 
पूर्ण घृणा वीभत्स भाव की, या फिर मानव हृदय लजाती।।
जग में भरी भयानकता या, रोम रोम भय से कम्पाती।।
ओतप्रोत…
Added by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on March 21, 2021 at 11:44am — 4 Comments
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