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सतविन्द्र कुमार राणा's Blog – March 2019 Archive (2)

पत्थरों पे हैं इल्ज़ाम झूठे सभी-गजल

212 212 212 212

अब नए फूल डालों पे आने लगे,

और' भ्रमर फिर ख़ुशी से हैं गाने लगे।

पत्थरों पे हैं इल्जाम झूठे सभी,

राही के ही कदम डगमगाने लगे।

रहबरी तीरगी की जो करते रहे,

अब वो सूरज को दीपक दिखाने लगे।

वादा वो ही किया जो था तुमने कहा,

घोषणा क्यों चुनावी बताने लगे।

जिनकी आँखों पे सबने भरोसा किया,

वक्त  आने पे सारे वो काने लगे।

भैंस बहरी नहीं सुन समझ लेगी सब,

बीन ये सोच कर फिर…

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Added by सतविन्द्र कुमार राणा on March 21, 2019 at 11:30am — 2 Comments

हम मानेंगे बात जो हमको प्यारी है- ग़ज़ल

22 22 22 22 22 2

नमक मसाले से बनती तरकारी है

सच मानों यह असली दुनियादारी है।

देख सलीका नकली बातें करने का

असली पर ही पड़ जाता कुछ भारी है।

छेदों से ही जिसकी है औक़ात यहाँ

छलनी ही समझाती, क्या खुद्दारी है?

होते हों कितने भी पहलू बातों के

हम समझेंगे जितनी अक्ल हमारी है।

तुम मानों जो तुमको अच्छा है लगता

हम मानेंगे बात जो हमको प्यारी है ।

आज लबादे में लिपटे अल्फ़ाज़ सभी

जिनको सुनना जनता की…

Continue

Added by सतविन्द्र कुमार राणा on March 4, 2019 at 9:00am — 4 Comments

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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
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"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
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Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
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