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March 2020 Blog Posts (64)


मुख्य प्रबंधक
अतुकांत कविता : माँद (गणेश बाग़ी)

अतुकांत कविता : माँद

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क्या आपने कभी देखी है ?

सियार की माँद !

मैं बताता हूँ

क्या होती है माँद !

जमीन के अंदर

सियार बनाता है

सुरक्षित आशियाना

जिसे कहते हैं माँद

माँद से जुड़े होते है

छोटे-लंबे

कई सारे रास्ते

ताकि

जब कोई खतरा हो

तो उसका कुनबा

निकल सके सुरक्षित...

देश की न्याय प्रणाली भी है

उसी माँद की मानिंद

एक रास्ता बंद होता है

तो कई…

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Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 3, 2020 at 7:59am — 4 Comments

झोल खाई हुई खुशी

झोल खाई हुई खुशी

तारों भरी रात, फैल रही चाँदनी

इठलाता पवन, मतवाला पवन

तरू-तरु के पात-पात पर

उमढ़-उमढ़ रहा उल्लास

मेरा मन क्यूँ उन्मन

क्यूँ इतना उदास…

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Added by vijay nikore on March 2, 2020 at 4:30am — 4 Comments


मुख्य प्रबंधक
अतुकांत कविता : आदमखोर (गणेश बाग़ी)

अतुकांत कविता : आदमखोर

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नुकीले दाँत

लंबे-लंबे नाखून

उभरी हुई बड़ी-बड़ी आँखें

चार पैर

लंबी-सी जीभ

बेतरतीब बाल

भयानक चेहरा

बेडौल शरीर

डरावनी दहाड़ ?

नहीं-नहीं ...

वो ऐसा बिलकुल नहीं है

उसके पास हैं

मोतियों जैसे दाँत

तराशे हुए नाखून

खूबसूरत आँखें

दो पैर, दो हाथ

सामान्य-सी जीभ

सलोना चेहरा

सजे-सँवरे बाल

आकर्षक शरीर

मीठे बोल

किंतु... 

वो…

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Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 1, 2020 at 11:18pm — 2 Comments

ग़ज़ल मनोज अहसास

122×8



मेरे साथ कोई ज़रा मुस्कुरा ले,

कलेजा बहुत भारी होने लगा है।

ये जीवन का रस्ता वहाँ आ गया है,

जहाँ हर किसी को मुझी से गिला है।



वो बचपन के साथी जो खाते थे कसमें,

रहेंगे सदा साथ जीवन डगर में।

कोई अपनी मंजिल पर तन्हा खड़ा है,

कोई जिंदगी के भंवर में फंसा है।



जो पाए हैं तुझको खुदी को मिटा कर,

वो पैगाम ए उल्फत ही देकर गए पर,

तेरा सबसे मिलना वो चेहरे बदल कर,

जमाने में झगड़े का जरिया बना है।



मुलाकात का कोई वादा… Continue

Added by मनोज अहसास on March 1, 2020 at 10:45pm — 4 Comments

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