एक ग़ज़ल।
**********
बँध गई हैं एक दिन से प्रेम की अनुभूतियाँ
बिक रही रैपर लपेटे प्रेम की अनुभूतियाँ
शाश्वत से हो गई नश्वर विदेशी चाल में
भूल बैठी स्वयं को ऐसे प्रेम की अनुभूतियाँ
प्रेम पथ पर अब विकल्पों के बिना जीवन नहीं
आज मुझ से, कल किसी से, प्रेम की अनुभूतियाँ
पाप से और पुण्य से हो कर पृथक ये सोचिए
लज्जा में लिपटी हैं क्यों ये प्रेम की अनुभूतियाँ
परवरिश बंधन में हो तो दोष किसको दीजिये
कैसे पहचानेंगे…
Added by अजय गुप्ता 'अजेय on February 14, 2019 at 1:54pm — 4 Comments
हिलता है तो लगता ज़िंदा है साया
लेकिन चुप है, शायद गूँगा है साया
कहने में तो है अच्छा हमराही पर
सिर्फ़ उजालों में सँग होता है साया
सूरज सर पर हो तो बिछता पाँवों में
आड़ में मेरी धूप से बचता है साया
असमंजस में हूँ मैं तुमसे ये सुनकर
अँधियारे में तुमने देखा…
Added by अजय गुप्ता 'अजेय on February 7, 2019 at 12:38pm — 3 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
    © 2025               Created by Admin.             
    Powered by
     
    
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |