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Gumnaam pithoragarhi's Blog – February 2015 Archive (4)

ग़ज़ल .........;;;गुमनाम पिथौरागढ़ी

२१२२ २१२२

नीम सी कोई दवा हूँ

आदमी मैं काम का हूँ

भाग से मैं हूँ बुरा पर

शख्स लेकिन मैं भला हूँ

दो घडी रूकता ना कोई

मैं सड़क का हादसा हूँ

स्वार्थ भर को ही जरूरत

क्या मैं कोई देवता हूँ

ढूँढता हूँ अपनी मंजिल

ख़त कोई पर बेपता हूँ

गुमनाम पिथौरागढ़ी

मौलिक व अप्रकाशित

Added by gumnaam pithoragarhi on February 26, 2015 at 6:16pm — 13 Comments

ग़ज़ल .........;;;गुमनाम पिथौरागढ़ी

2122 2122 212

पढ़ चुके जब से किताबें चार हम

भूल बैठे आपसी सब प्यार हम

बादलों ने ढक लिया सूरज अगर

मान लें सूरज की कैसे हार हम

उम्र भर कागज़ किये काले मगर

कह न पाए शेर भी दो चार हम

है भरोसा तेरे झूठे वादे पे 

यार दिल के हाथ हैं लाचार हम

जीतना तो चाहते हैं दिल मगर

फिर जमा क्यों कर रहे हथियार हम

बस डकैती लूट हत्या अपहरण 

देखते डरने लगे अखबार हम

मौलिक व…

Continue

Added by gumnaam pithoragarhi on February 22, 2015 at 5:53pm — 5 Comments

ग़ज़ल .........;;;गुमनाम पिथौरागढ़ी

२१२२ २१२२ २१२



बात करते हो वफ़ा की सोच लो

इश्क होता है सजा भी सोच लो





ये सफ़र तो इश्क का दुश्वार है

राह में है रात काली सोच लो





लक्ष्य से भटके युवा हर ओर हैं

बन न जाएँ ये मवाली सोच लो





जाति मजहब रंग के ही नाम पर

बाँट दी जनता बिचारी सोच लो





फिर मसीहा आयें तो मंजिल मिले

झूठ है हर सम्त पापी सोच लो





ख्वाब में जब यम मिले बोले यही

रह गए दिन चार बाकि सोच लो





क्यों ग़ज़ल… Continue

Added by gumnaam pithoragarhi on February 10, 2015 at 6:05pm — 11 Comments

ग़ज़ल .........;;;गुमनाम पिथौरागढ़ी

२१२२ २१२२ २


हो गयी है कोफ़्त जीने से
जा निकल भी ऐ जां सीने से


है सराबों का सफ़र ताउम्र
पूरा हो कैसे सफीने से


जिस्मो दिल हों ज़ख़्मी अब बेशक
रखना खुद को तुम करीने से


ख़त किताबों में मुड़ा पाया
लग गए वो लम्हे सीने से


है लिखें तकदीर में जो ज़ख्म
ये नहीं मिटते मै पीने से


हुश्न हो या इश्क हो गुमनाम
हो चुके रिश्ते भी झीने से


मौलिक व अप्रकाशित


गुमनाम पिथौरागढ़ी

Added by gumnaam pithoragarhi on February 3, 2015 at 8:30pm — 11 Comments

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