For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नाथ सोनांचली's Blog – January 2019 Archive (5)

प्रार्थना (मधुमालती छंद पर आधारित)

( १४ मात्राओं का सम मात्रिक छंद सात-सात मात्राओं पर यति, चरणान्त में रगण अर्थात गुरु लघु गुरु)

कर जोड़ के, है याचना, मेरी सुनो, प्रभु प्रार्थना।

बल बुद्धि औ, सदज्ञान दो, परहित जियूँ, वरदान दो।।

निज पाँव पे, होऊं खड़ा, संकल्प लूँ, कुछ तो बड़ा।

मुझ से सदा, कल्याण हो, हर कर्म से, पर त्राण हो।।

अविवेक को, मैं त्याग दूँ, शुचि सत्य का, मैं राग दूँ।

किंचित न हो, डर काल का, विपदा भरे, जंजाल का।।

लेकर सदा, तव नाम को, करता रहूँ, शुभ…

Continue

Added by नाथ सोनांचली on January 30, 2019 at 11:01am — 4 Comments

जागो उठो हे लाल तुम (मधुमालती छंद)

(14 मात्राओं का सम मात्रिक छंद, सात सात मात्राओं पर यति, चरणान्त में रगण अर्थात गुरु लघु गुरु)

जागो उठो, हे लाल तुम, बनके सदा, विकराल तुम ।

जो सोच लो, उसको करो, होगे सफल, धीरज धरो।।

भारत तुम्हें, प्यारा लगे, जाँ से अधिक, न्यारा लगे।

मन में रखो, बस हर्ष को, निज देश के, उत्कर्ष को।।

इस देश के, तुम वीर हो, पथ पे डटो, तुम धीर हो।

चिन्ता न हो, निज प्राण का, हर कर्म हो, कल्याण का।।

हो सिंह के, शावक तुम्हीं, भय हो तुम्हें,…

Continue

Added by नाथ सोनांचली on January 16, 2019 at 6:00am — 8 Comments

वन्दना (दुर्मिल सवैया)

कर जोड़ प्रभो विनती अपनी, तुम ध्यान रखो हम दीनन का।

हम बालक बृंद अबोध अभी, कुछ ज्ञान नहीं जड़ चेतन का

चहुओर निशा तम की दिखती, मुख ह्रास हुआ सच वाचन का

अब नाथ बसों हिय में सबके, प्रभु लाभ मिले तव दर्शन का ।।

मौलिक व अप्रकाशित

Added by नाथ सोनांचली on January 6, 2019 at 1:06pm — 2 Comments

दुर्मिल सवैया

उस देश धरा पर जन्म लिया, मकरंद सुप्रीति जहाँ छलके।

वन पेड़ पहाड़ व फूल कली, हर वक़्त जहाँ चमके दमके।

वसुधा यह एक कुटुम्ब, जहाँ, सबके मन भाव यही झलके

सतरंग भरा नभ है जिसका, उड़ते खग खूब जहाँ खुलके।।1।।

अरि से न कभी हम हैं डरते, डरते जयचंद विभीषण से।

मुख से हम जो कहते करते, डिगते न कभी अपने प्रण से

गर लाल विलोचन को कर दें, तब दुश्मन भाग पड़े रण से

यदि आँख तरेर दिया अरि ने, हम नष्ट करें उनको गण से।।2।।

हम काल बनें विकराल बनें, निकलें जब…

Continue

Added by नाथ सोनांचली on January 6, 2019 at 1:03pm — 6 Comments

नववर्ष की शुभकामनाएं प्रेषित करती कविता (पञ्चचामर छंद)

नवीन वर्ष को लिए, नया प्रभात आ गया

प्रभा सुनीति की दिखी, विराट हर्ष छा गया

विचार रूढ़ त्याग के, जगी नवीन चेतना

प्रसार सौख्य का करो, रहे कहीं न वेदना।।1।।

मिटे कि अंधकार ये, मशाल प्यार की जले

न क्लेश हो न द्वेष हो, हरेक से मिलो गले

प्रबुद्ध-बुद्ध हों सभी, न हो सुषुप्त भावना

हँसी खुशी रहें सदा, यही 'सुरेन्द्र' कामना।।2।।

न लक्ष्य न्यून हो कभी, सही दिशा प्रमाण हो

न पाँव सत्य से डिगें, अधोमुखी न प्राण हो

विवेकशीलता लिए,…

Continue

Added by नाथ सोनांचली on January 1, 2019 at 8:30pm — 8 Comments

Monthly Archives

2025

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, किसी को किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं है. दुराग्रह छोड़िए, दुराव तक नहीं…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"अपने आपको विकट परिस्थितियों में ढाल कर आत्म मंथन के लिए सुप्रेरित करती इस गजल के लिए जितनी बार दाद…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय सौरभ सर, अवश्य इस बार चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के लिए कुछ कहने की कोशिश करूँगा।"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"शिज्जू भाई, आप चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के आयोजन में शिरकत कीजिए. इस माह का छंद दोहा ही होने वाला…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब "
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. सौरभ सर,आप हमेशा वहीँ ऊँगली रखते हैं जहाँ मैं आपसे अपेक्षा करता हूँ.ग़ज़ल तक आने, पढने और…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. लक्ष्मण धामी जी,अच्छी ग़ज़ल हुई है ..दो तीन सुझाव हैं,.वह सियासत भी कभी निश्छल रही है.लाख…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब,अच्छी ग़ज़ल हुई है ..बधाई स्वीकार करें ..सही को मैं तो सही लेना और पढना…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"मोहतरम अमीरुद्दीन अमीर बागपतवी साहिब, अच्छी ग़ज़ल हुई है, सादर बधाई"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय सौरभ सर, हार्दिक आभार, मेरा लहजा ग़जलों वाला है, इसके अतिरिक्त मैं दौहा ही ठीक-ठाक पढ़ लिख…"
4 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी posted a blog post

ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)

122 - 122 - 122 - 122 जो उठते धुएँ को ही पहचान लेतेतो क्यूँ हम सरों पे ये ख़लजान लेते*न तिनके जलाते…See More
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service