For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Atul Chandra Awsathi *अतुल*
  • Male
  • Bahraich
  • India
Share on Facebook MySpace

Atul Chandra Awsathi *अतुल*'s Friends

  • Bhola Nath Sharma
 

Welcome, Atul Chandra Awsathi *अतुल*!

Latest Activity

DR ARUN KUMAR SHASTRI left a comment for Atul Chandra Awsathi *अतुल*
"dear atul seen and learnt that its your birth day today , pls accept my best of best happy birthday wish on this very important day god bless u with best happiness for life "
Nov 19, 2020

Profile Information

Gender
Male
City State
bahraich-u.p.
Native Place
village&post-sarsa, pyagpur-bahraich
Profession
teacher&jarnlist
About me
साहित्या में भी रुचि है। मां सरस्वती की कृपा से अवधी और खड़ी बोली में काव्य रचना करने का प्रयास करता हूं।

Atul Chandra Awsathi *अतुल*'s Blog

होली का हुड़दंग

होली का हुड़दंग न खेला, तो क्या खेला जीवन मेें,

भौजी के संग रंग न खेला, तो क्या खेला जीवन में।

फगुआ की मदमस्त हवा में, जन-जन है बौराय रहा,

मानव तो मानव है, देखौ पादप भी बौराय रहा।

नगर-नगर और गली गली में होरियारे गोहराय रहे,

होली का हुड़दंग न खेला तो क्या खेला जीवन में।

पप्पू, रामू, मुन्नू, सोनू सबके हाथों में पिचकारी,

घर से निकली बबली गोरी बौछारों के सम्मुख हारी।

ढोल, नगाड़े, ताशे के संग होरियारों की टोली निकली,

रंग गुलाल गाल को रंगो हुड़दंगो की बोली…

Continue

Posted on March 7, 2015 at 11:35am — 4 Comments

धर्म नीति के प्याले में है, दिखता बस जाला-जाला

कोई पढ़वाता नमाज है, कोई जपवाता माला।

भारत और इंडिया का, देखो यह है गड़बड़झाला।

धर्म, जाति, मक्कारी की, हाला उसने जो पी ली है।

मानवता को नोंच, नोंचकर, लगा रहा मुंह पर ताला।

राम, रहीम, मुहम्मद हमको मिले नहीं हैं अभी तलक।

धर्म नीति के प्याले में है, दिखता बस जाला-जाला।

भावों का जो घाव मिल रहा, कब तक उसे कुरेदोगे।

मंदिर कभी और मस्जिद में, कब तक मन को तोलोगे।

ईश्वर अल्ला नाम एक ही, बोलो क्यू हो भूल रहे।

धर्म तराजू से भारत की, संतानों को तोल रहे।

तेज सियासी…

Continue

Posted on December 13, 2014 at 9:01pm — 3 Comments

अब होश करौ .....

अब होश करौ मदहोश न हो,

नहीं तौ फिर से दुख पइहौ।

उप्पर सफेद अंदर करिया,

ई नेता केर स्वरूप आय।

घड़ियाली आंसू ढुरुकि क्यार,

वोटन का लेवैक रूप आय।

जौ जाति धर्म मां बंटि जइहौ,

तौ पांच साल तक पछितइहौ

अब होश करौ मदहोश न हो,

नाहीं तौ फिर से................।

ई प्रजा तंत्र तब बचि पाई,

जब रिश्ता नाता ना देखौ,

टेटे कै पैसा ना लेखौ,

गाड़ी कै बवंडर ना देखौ।

अब होश करौ मदहोश न हो,

नाहीं तौ फिर से................।

ई देश बचावै के खातिर,

गुंडन…

Continue

Posted on April 6, 2014 at 7:14pm — 7 Comments

फागुन चला गया

फागुन चला गया, अरे फागुन चला गया,

वह खुशमिजाज मौसम सगुन दे चला गया।

बागों में आम बौर बढ़े, फगुआ हवा में,

सर्दी के सितम से भी तो राहत दी पछुआ ने।

हर एक दिल को खुशनुमा करके चला गया,

फागुन चला गया, अरे फागुन ..................

सूरज की चमक को भी तो फागुन ने टटोला,

हर एक दिल को मौसमी अंदाज से तोला।

बूढ़ों को धूप, बच्चों को मुस्कान दे गया।

हर व्यक्ति को राहत भरा उनमान दे गया।

फागुन चला गया, अरे फागुन ..................

हम बात कहें, अन्नदाता के हिसाब…

Continue

Posted on March 18, 2014 at 9:22pm — 2 Comments

Comment Wall (1 comment)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 1:45pm on November 19, 2020, DR ARUN KUMAR SHASTRI said…

dear atul seen and learnt that its your birth day today , pls accept my best of best happy birthday wish on this very important day god bless u with best happiness for life 

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
4 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service