For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Sujit Kumar Lucky
  • Male
  • Bhagalpur,Bihar>>Delhi>>??
  • India
Share on Facebook MySpace

Sujit Kumar Lucky's Friends

  • Lata R.Ojha
  • GOPAL BAGHEL 'MADHU'
  • anand pandey tanha
  • Dr Nutan
  • आशीष यादव
  • Er. Ganesh Jee "Bagi"
  • Admin

Sujit Blog

Loading… Loading feed

 

Sujit Kumar Lucky's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
New DELHI
Native Place
Bhagalpur, Bihar
Profession
Web Analyst
About me
गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) मेरी जन्मभूमी.. वर्तमान मेरी कर्मभूमि राजधानी दिल्ली पेशे से : Web analyst अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे सब्दो में लिखता हु . "यादें ही यादें जुर्ती जा रही , हर रोज एक नया फलसफा जिन्दगी का, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! ! (सुजीत कुमार लक्की)

Sujit Kumar Lucky's Blog

अंग प्रदेश की भागीरथी ! !

"आज कुछ भाव अनायास मन में उठे !


इस कविता का संदर्भ : मैं गंगा किनारे बसे अंग प्रदेश से हूँ ..
और अभी यमुना नदी के शहर दिल्ली में रह रहा हूँ !
कुछ…
Continue

Posted on April 16, 2011 at 12:00am — 1 Comment

और तभी सुनामी आती है !



है दंभ अब किन बातों का !
आंखे फाड़े काली रातों का !


विकट जो चुप्पी छाती है,
और तभी सुनामी आती है !


बौने से जो अब पेड़ खड़े,
साधी चुप्पी से मौन धरे…
Continue

Posted on March 18, 2011 at 9:06am

आज देखा हमने तिरंगे का बस दो रंग अपने चेहरे पर !

क्यों संसद खामोश और ट्विट्टर चिल्ला रहा ,


क्या बदनसीबी थी हमारी,
हमारा ही रोकेट, हमारे ही घर…
Continue

Posted on January 26, 2011 at 9:30am — 6 Comments

यादों के पत्ते यूँ बिखरे परे है जमीं पर



यादों के पत्ते यूँ बिखरे परे है जमीं पर ,

अब कोई खरखराहट भी नही है इनमे,

शायद ओस की बूंदों ने उनकी आँखों को

कुछ नम कर दिया हो जैसे ...

बस खामोश से यूँ चुपचाप परे है ,

यादों के ये पत्ते ...



जहन मे… Continue

Posted on December 4, 2010 at 1:54am

उलझते सुलझते बातें जिंदगी के

ये रात शर्त लगाये बैठे है नजरे बोझिल करने की..

और हम ख्वाब सजाने की बगावत कर बैठे है ...



(वक्त के खिलाफ ये कैसी कोशिश ! ! )



यूँ भागती कोलाहल जिंदगी मे ..

कहाँ थी कोई ख़ामोशी..

हम छुपते रहे , पर वो वजह… Continue

Posted on November 25, 2010 at 11:30pm

Comment Wall (5 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"गत दो दिनों से तरही मुशायरे में उत्पन्न हुई दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की जानकारी मुझे प्राप्त हो रही…"
25 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मोहतरम समर कबीर साहब आदाब,चूंकि आपने नाम लेकर कहा इसलिए कमेंट कर रहा हूँ।आपका हमेशा से मैं एहतराम…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सौरभ पाण्डेय, इस गरिमामय मंच का प्रतिरूप / प्रतिनिधि किसी स्वप्न में भी नहीं हो सकता, आदरणीय नीलेश…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर सर,वैसे तो आपने उत्तर आ. सौरब सर की पोस्ट पर दिया है जिस पर मुझ जैसे किसी भी व्यक्ति को…"
2 hours ago
Samar kabeer replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"प्रिय मंच को आदाब, Euphonic अमित जी पिछले तीन साल से मुझसे जुड़े हुए हैं और ग़ज़ल सीख रहे हैं इस बीच…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, किसी को किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं है. दुराग्रह छोड़िए, दुराव तक नहीं…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"अपने आपको विकट परिस्थितियों में ढाल कर आत्म मंथन के लिए सुप्रेरित करती इस गजल के लिए जितनी बार दाद…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय सौरभ सर, अवश्य इस बार चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के लिए कुछ कहने की कोशिश करूँगा।"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"शिज्जू भाई, आप चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के आयोजन में शिरकत कीजिए. इस माह का छंद दोहा ही होने वाला…"
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब "
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. सौरभ सर,आप हमेशा वहीँ ऊँगली रखते हैं जहाँ मैं आपसे अपेक्षा करता हूँ.ग़ज़ल तक आने, पढने और…"
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. लक्ष्मण धामी जी,अच्छी ग़ज़ल हुई है ..दो तीन सुझाव हैं,.वह सियासत भी कभी निश्छल रही है.लाख…"
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service