For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

anupama shrivastava[anu shri]
  • Female
  • m.p
  • India
Share on Facebook MySpace

Anupama shrivastava[anu shri]'s Friends

  • R. K. PANDEY "RAJ"
  • dr.shailesh pathak
  • sunita
  • shekhar jha`
  • Abhay Kant Jha Deepraaj
  • Bhasker Agrawal
  • GOPAL BAGHEL 'MADHU'
  • Anjana Dayal de Prewitt
  • Veerendra Jain
  • Manoj Kumar Jha
  • asha pandey ojha
  • विवेक मिश्र
 

anupama shrivastava[anu shri]'s Page

Profile Information

Gender
Female
City State
bhopal
Native Place
bhopal
Profession
teacher
About me
writter [poem n prose]

कन्या सिर्फ रत्न नहीं ,सराहे और पूजे जाने के लिए

कन्या सिर्फ रत्न नहीं ,सराहे और पूजे जाने के लिएएक सोच है ,दर्शन हैएक ह्रदय है , समर्पण हैऐसी कोरी किताब नहीं,की गाहे -बगाहे.लिख दे कहानी कोई,एक अंतर्मन है.जिसमे करते स्वयं प्रभु रमण हैंउसके सीने में भी ,दिल है धड़कताउसके जज्बातों में भी है कोई बसता,एक मुकम्मल सा फ़रिश्ता,जुड़ा-जुड़ा सा हो जिससे कोई रिश्ताजिसकी नजदीकी सारे बंधन खोलेजैसे नए पंख उड़ने को पर तौले,कोई कर्णप्रिय बात मद्यम सुर में बोलेमन में छुपे अहसास कोई हौले से छूलेजो न कवि की कल्पना, शायर की गजल हो,स्वयं में खिलता स्वर्णकमल होखुद में व्यक्त-अभिव्यक्त, संपूर्ण सकल हो,धागों, अनुबंधों की सीमाओं से परे,उस निराकार में जिसका विलय होअल्हड उन्मादिता का न हो दमननए सुर, भावों में हो जिसका सृजनसागर की गहरे में मोती सा जिसका मनअपना चेहरा दिखाई दे ,ऐसा है वो दर्पण

Anupama shrivastava[anu shri]'s Blog

हसीन पलों का सफ़र



पीपल के पेड़ के नीचे ,बनाया उसने आशियाँ

सिर्फ उसका , उसका ही  था वो जहाँ

जिंदगी…

Continue

Posted on January 21, 2011 at 2:49pm — 2 Comments

स्वप्निल सुबह

गुनगुनाती मध्यम धूप सुबह की, 

तन -मन मैं बिखेर देती है अनगिनित उजाले'

कहीं खो जाते है इस स्वर्णिम चमक में,

मन में छुपे कुछ बादल काले

 

खिल जाती हैं, नयी उमीदों की नयी कोपलें

नई धुन पर तैयार ,नई गुनगुनाहटे,  

  पहले से जवान, पहले से हसीन, 

  मन के कोने से निकलकर कहीं,                           

कोरे कैनवास…

Continue

Posted on January 14, 2011 at 1:00pm — 6 Comments

केक्टस

एक कविता आज के दौर के नाम....



पैसा है, उसका नशा है, और शोहरत है

अब कहाँ इतनी फुरसत है

लोगों के आसपास होने का अहसास नहीं होता

अपनों के खोने का डर आसपास नहीं होता





हसरतें, इतनी कि ख़त्म ही नहीं होती!

पाना ये , वो भी कि, सबर ही नहीं होती

स्नेह, प्यार, विश्वास शब्दों में अब गुजर नहीं होती





प्रकृति के नज़ारे भी लगते… Continue

Posted on December 26, 2010 at 7:00pm — 7 Comments

कन्या सिर्फ रत्न नहीं

कन्या सिर्फ रत्न नहीं,

सराहे और पूजे जाने के लिए एक सोच है ,

दर्शन है एक ह्रदय है ,

समर्पण है ऐसी कोरी किताब नहीं,

कि गाहे -बगाहे. लिख दे कहानी कोई,

एक अंतर्मन है.जिसमे करते स्वयं प्रभु रमण हैं

उसके सीने में भी ,

दिल है धड़कता उसके जज्बातों में भी है कोई बसता,

एक मुकम्मल सा फ़रिश्ता,

जुड़ा-जुड़ा सा हो जिससे कोई…

Continue

Posted on December 18, 2010 at 2:00pm — 5 Comments

Comment Wall (4 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Jul 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service