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सामाजिक सरोकार Discussions (89)

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गेम्स विलेज

गेम्स विलेज में सुविधा नहीं, खाना गंदा और सुरक्षा के नाम पर ओस्ट्रेलिया के पत्रकार ने स्टींग ओपरेशन में विस्फोटक ले जाकर धज्जीयां उडाई |

Started by Pankaj Trivedi

0 Sep 22, 2010

डेंगू से बचना भाई

मेरे एक दोस्त को डेंगू हो गया है, आज उनके खून मे प्लेटलेट की कमी हो गयी थी, उनके खून का समूह मेरे समूह से मिलता है, मेरा सौभाग्य था की आज म…

Started by ABHISHEK TIWARI

1 Sep 13, 2010
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

आवश्यक सूचना: विदेश जाने से पहले -- विजय कौशल - संजीव 'सलिल'

( आदरणीय श्री संजीव वर्मा "सलिल" जी द्वारा प्राप्त ब्लॉग को हुबहू यहाँ पोस्ट कर रहा हूँ ) आवश्यक सूचना: विदेश जाने से पहले -- विजय कौशल - स…

Started by Admin

0 Sep 7, 2010

ओपन बुक

ओपन बुक - पर "मंथ ऑफ़ ध ब्लॉग" सिर्फ नहीं , वो तो "ओल टाईम ऑफ़ ध ब्लॉग" है.... पूरे परिवार को बधाई |

Started by Pankaj Trivedi

0 Sep 7, 2010

आलेख : स्वर्णिम गुजरात में "वांचे गुजरात" अभियान - पंकज त्रिवेदी

स्वर्णिम गुजरात अंतर्गत "वांचे गुजरात" (पढ़े गुजरात) अभियान ने अपना ले पकड़ लिया है, यह सच है क्या? गुजरात के एक-एक घर में अच्छे पुस्तक पहु…

Started by Pankaj Trivedi

2 Aug 29, 2010
Reply by Pankaj Trivedi

बड़ा ही कठिन

आमने सामने दो सोफा पर बैठकर झगड़ते हें पूरी ज़िंदगी जी लेते है, मगर अकेला जीना बड़ा ही कठिन है | -स्वर्गीय चंद्रकांत बक्षी (गुजराती साहित्यका…

Started by Pankaj Trivedi

2 Aug 29, 2010
Reply by Pankaj Trivedi

मिट्टी - पंकज त्रिवेदी

मेरे हाथ में हिन्दुस्तानी जमीं की मिट्टी है, ईसे दुनिया के किसी भी कोने में ले उडाऊं.... प्यार-मोहब्बत से भरे शब्दों का मेघधनु बन जाएगा....…

Started by Pankaj Trivedi

2 Aug 29, 2010
Reply by Pankaj Trivedi

रपर्ट : मधुशाला का गुजराती संस्करण देखकर महानायक भावुक - पंकज त्रिवेदी

हरीवंशराय बच्चन रचित "मधुशाला" का गुजराती संस्करण देखकर महानायक अमिताभ बच्चन गुजरात की यात्रा के वक्त सुप्रसिद्ध गांधीनगर के पास अडालज की…

Started by Pankaj Trivedi

2 Aug 29, 2010
Reply by Pankaj Trivedi

कम्बल वितरण

मान्यवर बंधुगण आप को सूचित करते हुए आपार हर्ष हो रहा हैं की अपना गोस्वामी समाज बिगत वर्ष कम्बल वितरण का प्रोग्राम ग्राम सह्दौली जिला सिवान…

Started by Rash Bihari Ravi

5 Aug 12, 2010
Reply by Rash Bihari Ravi

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१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
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