For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

परमपुरुष की विशेषता
===============

परमात्मा को किसी वस्तु की आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह ब्रह्माॅंड उन्होंने ही बनाया है , परमा प्रकृति को उनका थोड़ा सा भी संकेत मिलते ही वह उसे तत्काल मूर्तरूप दे देती है। इसलिये जो लोग उनकी प्रशंसा करते हैं या उन्हें प्रसन्न करने के लिये भौतिक जगत की वस्तुयें भेंट करते हैं वह उनके किसी काम नहीं आता।
परमपुरुष सदा नित्यानन्द अवस्था में रहते हैं और परमाप्रकृति उनकी सेवा में तत्पर रहती है। उनके भंडार में कभी भी किसी वस्तु की कमी नहीं रह सकती समग्र ब्रह्माॅंड ही उनकी विचार तरंगों का व्यक्त रूप है अतः सब कुछ उनके मन में ही रहता है।
कुछ लोग पूछ सकते हैं कि यदि उन्हें किसी प्रकार की प्रशंसा या वस्तु की आवश्यकता नहीं है तो वे अपना नाम क्यों जाप कराना चाहते हैं, अपना ध्यान क्यों कराना चाहते हैं ?
इसका उत्तर यह है -
नहीं , वह अपनी प्रशंसा के भूखे नहीं हैं, पर उनकी यह इच्छा अवश्य रहती है कि हम सब उनकी संतान, आध्यात्म की ओर , उनकी ओर , लगातार बढ़ते जायें, उनका वंश प्रकृति और कर्म के बंधनों से मुक्त हो, और इसका सरल तरीका यही है कि उनका नाम स्मरण किया जाये। इसके पीछे जो विज्ञान कार्य करती है वह है ‘‘ याद्रशी भावना यस्य, सिद्धिर्भवति  ताद्रशी ‘‘ अर्थात् हम जैसा सोचते हैं वैसा ही हो जाते हैं । इसलिये स्वयं की अध्यात्मिक उन्नति के लिये ही उन्हें और उनकी महानता का स्मरण करने के लिये नाम कीर्तन करना आवश्यक हो जाता है। परमपुरुष का लक्षण यह है कि वह विराट हैं, ब्रह्म हैं, और जो उनका ध्यान चिंतन करता है वह भी ब्रह्म अर्थात् विराट होता जाता है । इसीलिये ब्रह्म का अर्थ है "ब्रहत्वाद् ब्रह्म ,ब्रंहणत्वाद् ब्रह्म " अर्थात् जो स्वयं विराट है और दूसरों को भी विराट बना सकता है वह ब्रह्म है ।
इसलिये मनुष्य यदि उनका ध्यान करता है तो उसका मन भी उन्हीं की तरह विराट हो जाता है। उनका यही रहस्य है।
मौलिक और अप्रकाशित

Views: 739

Replies to This Discussion

आदरणीय टीआर सुकुल जी, याद्रशी भावना यस्य सिद्धिर्भवति ताद्रशी  के अनुसार दुरुस्त कर लें.  सिद्धिर्भवति गलत टाइप हो गया है. 

पूरा श्लोक यों है - 

देवे तीर्थे द्विजे मंत्रे दैवज्ञे भेषजे गुरौ । 

याद्रशी भावना यस्य सिद्धिर्भवति ताद्रशी ॥

अर्थात, देव, तीर्थ, ब्राह्मण, मंत्र, ज्योतिष, वैद्य गुरु के प्रति जैसी भावना होती है, वैसी ही सिद्धि यानी प्रतिफल भी प्राप्त होता है. 

सादर

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई ,सुन्दर  , सार्थक  देश भक्ति  से पूर्ण सार छंद के लिए हार्दिक…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सुशिल भाई , अच्छी दोहा वली की रचना की है , हार्दिक बधाई "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरनीय आजी भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है हार्दिक बधाई ग़ज़ल के लिए "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"अनुज बृजेश , ग़ज़ल की सराहना और उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
1 hour ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज जी इस बह्र की ग़ज़लें बहुत नहीं पढ़ी हैं और लिख पाना तो दूर की कौड़ी है। बहुत ही अच्छी…"
8 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. धामी जी ग़ज़ल अच्छी लगी और रदीफ़ तो कमल है...."
8 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"वाह आ. नीलेश जी बहुत ही खूब ग़ज़ल हुई...."
8 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय धामी जी सादर नमन करते हुए कहना चाहता हूँ कि रीत तो कृष्ण ने ही चलायी है। प्रेमी या तो…"
9 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय अजय जी सर्वप्रथम देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।  मनुष्य द्वारा निर्मित, संसार…"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । हो सकता आपको लगता है मगर मैं अपने भाव…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service