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"प्यासा बालक है बहुत, नल है बिन जल-धार।मुश्किल कैसी आ गई, करो प्रभो! उपकार। वाह क्या…"

Sushil Sarna replied May 21, 2016 to "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 61

630 May 22, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"कब तक झेलेंगे बता, सूखे की ये मारपाप हमारे भूल जा,कर दे तू उपकार बहुत सुंदर आदरणीय स…"

Sushil Sarna replied May 21, 2016 to "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 61

630 May 22, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"जल जीवन का सार है, जल बिन जग बेकार ।जगे कंठ में प्यास जब, समझे है नर नार ।। बहुत सुं…"

Sushil Sarna replied May 21, 2016 to "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 61

630 May 22, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"आत्ममुग्ध मानव करे प्रकृति से परिहासखेल रहा नित आग से देकर नाम विकास वाह आदरणीया प्र…"

Sushil Sarna replied May 21, 2016 to "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 61

630 May 22, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"बूंद बूंद अनमोल है, सबके जीवन बोलजीवन देती हर बूंद,इसका बारिश मोल।वाह आदरणीया नयना ज…"

Sushil Sarna replied May 21, 2016 to "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 61

630 May 22, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"बच्चे तक प्यारे मरे, नहीं नलों में नीरकंठ सूखते जा रहे, तपता रहे शारीर | वाह आदरणीय…"

Sushil Sarna replied May 21, 2016 to "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 61

630 May 22, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"एक हाथ से नल पकड़, बैठा घुटने टेक।प्यासे अधरों पर गिरी, लेकिन बूँद न एक।3। वाह आदरणीय…"

Sushil Sarna replied May 21, 2016 to "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 61

630 May 22, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"रूखा है आनन मगर, नैन रहे हैं बोल |सचमुच इस संसार में, पानी है अनमोल || आ. रक्ताले सा…"

Sushil Sarna replied May 21, 2016 to "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 61

630 May 22, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"बड़ी भयावह ग्रीष्म है, सूखे के आसार एक बूँद पानी नहीं जग में हाहाकार वाह आदरणीय डॉ. ग…"

Sushil Sarna replied May 21, 2016 to "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 61

630 May 22, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

"ख़ुश्क हुऐ सारे कुएँ - सूख गए तालाब ।कैसे आए टैंक से - अपने नल में आब ।आ. कल्पना जी प…"

Sushil Sarna replied May 21, 2016 to "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 61

630 May 22, 2016
Reply by मिथिलेश वामनकर

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Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
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