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"‘पीछे उनके लटक रहे’ में 14 मात्रायें हो रही हैं। कालीपद जी आसानी के लिये गण मत गिनिय…"Sulabh Agnihotri replied Jul 15, 2016 to "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 63 |
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Jul 16, 2016 Reply by Saurabh Pandey |
"सुन्दर दोहे आदरणीया।‘पीछे उनके लटक रहे’ शायद टाइपिंग की गलती है - ‘पीछे उनके लटकते’…"Sulabh Agnihotri replied Jul 15, 2016 to "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 63 |
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Jul 16, 2016 Reply by Saurabh Pandey |
"दोहे === सावन दरवाजे खड़ा, टूट गयी खपरैल।री बुधिया ! तू देख ले, चारा, गोरू, बैल। रो…"Sulabh Agnihotri replied Jul 15, 2016 to "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 63 |
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Jul 16, 2016 Reply by Saurabh Pandey |
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