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भोजपुरी साहित्य Discussions (246)

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कईसन आजादी इ , हमके ना बुझाइल ,

कईसन आजादी इ , हमके ना बुझाइल , बानी आजाद हमार , आखँ भर आइल , पईसा बा लगे बाबु , बोल तोहार बोलेला , पईसा नइखे लगे , टांग ले खिचाइल , बापू…

Started by Rash Bihari Ravi

1 Aug 16, 2011
Reply by satish mapatpuri

अइसन कब होई , "भोजपुरी धारावाहिक कहानी" "तिसरका कड़ी"

  "दुसरकी कड़ी" इहवाँ क्लिक करीं तिसरकी कड़ी . बियाह अबहीं ना करब बोल के विजय घर के भितरी चलि गइलन. तब रघुनाथबाबू कहलन,  "नया खून बा, चिंता…

Started by Rash Bihari Ravi

4 Aug 14, 2011
Reply by Rash Bihari Ravi

अइसन कब होई , "भोजपुरी धारावाहिक कहानी" "दुसरका कड़ी"

(पहिलका कड़ी) iha dekhi   रघुनाथ सिंह अपना दुआर पर चार पाँच आदमी के संगे बाईठल रहूआन चौकी पर एगो प्लेट में बिस्कुट आउर चनाचूर रखल रहुये सब…

Started by Rash Bihari Ravi

6 Aug 12, 2011
Reply by Rash Bihari Ravi

अइसन कब होई , "भोजपुरी धारावाहिक कहानी" "पहिलका कड़ी"

भोजपुरी धारावाहिक कहानी अइसन कब होई (पहिलका कड़ी)   बाबू देवव्रत सिंह आपन जनेऊ के माँजत (घुमाइ-घुमाइ पानी निकालत) मंदिर के सीढ़ी से उतरत र…

Started by Rash Bihari Ravi

4 Aug 12, 2011
Reply by Rash Bihari Ravi

भोजपुरी साहित्य में माई के गीत के साथ 'अतेन्द्र' क आगाज़ .......

टन-टन टन-टन घंटा बाजे           मईया तोरे दुआरे आस लगाके खड़ा बा निर्धन              कब से तेरे सहारे ओ मईया दे दे तू दर्सन्वा रे------ओ  …

Started by Atendra Kumar Singh "Ravi"

8 Aug 6, 2011
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

खेतवा में लिखल बाटे जेकर हो करमवा

खेतवा में लिखल बाटे जेकर हो करमवा  हथवा में हल लेईके चलेले हो किसनवा l    नाहीं कौनों फईसन बाटे अपने  त देहियाँ   बचल खुचल उमड़ेले बचवन पे…

Started by Atendra Kumar Singh "Ravi"

1 Aug 5, 2011
Reply by आशीष यादव

भोजपुरी गजल लिखे के कोशिश

भोजपुरी गजल लिखे के कोशिश  तहरा इयाद के सहारे जीवन बिता देम ,तू चाह त गोरी तोहके आपन बना लेम ,  मन में बसल बारू तू मेहमान बन के , चाह्बू…

Started by Rash Bihari Ravi

3 Aug 3, 2011
Reply by Rash Bihari Ravi

देखि केतना परेशान हम बानी

एगो लड़की के बाप हम बानी , देखि केतना परेशान हम बानी     सगरी धन पढ़ाई में ओराइल , बेटी पढ़ल बड़ा खुश हम बानी     बचपन से पढ़वनी मर मर के ,…

Started by Rash Bihari Ravi

3 Aug 2, 2011
Reply by आशीष यादव

इ का हो रहल बा ,

इ का हो रहल बा , समझ में नइखे आवत , का मनमोहन बाबु के, बुद्धि कही चरे चल गइल बा,कि उनकर बछरुआ , सब के सब बे हाथ हो गइल बा, एगो राजा साहेब ब…

Started by Rash Bihari Ravi

4 Jul 26, 2011
Reply by shrikantpandey

सावन महिना मन भावन लागेला सुहावन हो ,

सावन महिना मन भावन लागेला सुहावन हो , आवs बलम चली आवs उठईब हम कावर हो , सुनी ले कि सुनेले मनवा के बतिया पूरा करेले , प्रभु हमारो बिपतिया ना…

Started by Rash Bihari Ravi

0 Jul 21, 2011

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"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
yesterday

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Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
Monday

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मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
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मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
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सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Oct 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30

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