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मन अशांत चमचन के ,

परेशान पेपर पढ़ पढ़ के ,

दस केस अदालत में बा ,

सौ दबल बा थाना में ,

अगिला चुनाव बा आवे वाला ,

हो जाइ सब गरबर झाला ,

रउआ अयोग ठहरावल जायेम ,

पार्टी से भी टिकट ना पायेम ,

रउरा पर त अंतर ना पड़ी ,

हमनी के घर कईसे चली ,

देखि देश में इ का होता जी ,

अब का होई नेता जी ,

नेता जी समझवल ,

एतना बात बतावलन ,

इ कवनो परेशानी नइखे ,

समझ न पइले चमचा ,

तब पुछले उ कइसे ,

हम ना लड़ब अयोग बानी ,

पार्टी त हमर बतिया मानी ,

तब टिकट मिलजाइ बहुआ के ,

जित त आपन पक्का बा ,

अब समझ में आ गईल नु ,

राज करब हम नेता जी ,

 

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Replies to This Discussion

गुरु जी, नेता कुल बोका ना नु होलन सन, जहाँ फायदा के बात होई कुल्हि गोड़ा गोटिया जईहन सन, आ नियम निर्माता त उहे नु बाडन सन । बढ़िया रचना बा , बधाई ।  

हम ना लड़ब अयोग बानी ,

पार्टी त हमर बतिया मानी ,

तब टिकट मिलजाइ बहुआ के ,

जित त आपन पक्का बा ,

अब समझ में आ गईल नु ,

राज करब हम नेता जी ,.................... हँ, आ गईल समझ में | बहुते निमन रचना बा आप के | बधाई 

बहुते निमन रचना बा आप के | बधाई 

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