For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

निकष पर -ःकिरण किरण रोशनी’            ::   डा. गोपाल नारायन श्रीवास्तव

 समीक्ष्य पुस्तक- किरण किरण रोशनी (कहानी संग्रह)

लेखिका-रूबी शर्मा

प्रकाशन वर्ष- 2017 ई0

प्रकाशक- नमन प्रकाशन, स्टेशन रोड, लखनऊ 

               

‘अब आप हैं ओैर ये कहानियाँ हैं’ यह कहकर लेखिका ने बड़ी ही विनम्रता से अपना संग्रह लोकार्पित किया है। इस संकलन में ‘शुभाशीष’ के अन्तर्गत प्रधान संपादक उत्तर प्रदेश, हिन्दी संस्थान ने कहा कि नयी पीढी के दस्तक को प्रोत्साहित किया जाना समय की माँग है । समय की माँग क्यों ?  यह तो हर काल में हर युग में वरिष्ठो का दायित्व रहा है । रहीम ने कितनी सुन्दर बात कही है-

रहिमन यों सुख होत है बढ़त देख निज गोत I

ज्यों बडरी अखियाँ निरखि नैनन को सुख होत II

 

हम साहित्य अनुरागियो का गोत्र फूले-फले इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है I इसलिये सबसे पहले में पुत्री समान रूबी शर्मा को अपनी जमात में शामिल होने की बधाई देता हूँ ।

 

‘यह किताब’ शीर्षक में शिव नारायण मिश्र का कथन है कि –‘यदि साहित्य की कोई उपयोगिता नही है तो उसमें कला-कौशल की चाहे कितनी कारीगरी भरी हो- निरर्थक है।‘  इस कथन से क्या लेखक कहानीकार का बचाव कर रहा है कि भले ही शिल्प हल्का हो पर उपयोगिता तो है ।

 

यह पुस्तक मेरे पूज्य गुरू डॉ० पाण्डेय रामेन्द्र जी ने मुझे इस उद्देश्य से दी कि मैं कहानीकार के उत्साहवर्द्धन मे कुछ कहूँ । उत्साहवर्द्धन अच्छी बात है I  नवोदितो के लिये तो यह टॉनिक है ।

 

गुर्वाज्ञा के पालन में मैने निष्ठापूर्वक संग्रह की लगभग सभी कहानियाँ पढीं और इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि रूबी जी में लिखने का सामर्थ्य है। उनकी भाषा सरल है, सहज है और उसमें प्रवाह भी है । अपने भावो को वह पूरी स्पष्टता से व्यक्त करने मे सक्षम हैं । कहानी का विषय लेने के लिये कहानीकार स्वतंत्र होता है पर उसका सम्यक निर्वाह ही सबसे बड़ी चुनौती होती है। रूबी जी ने अधिकतर महिला प्रधान विषयो को चुना है और कहानियो को सुखान्त बनाने मे रूचि दर्शायी है। कहानी के संगठन में अभी कुछ और मेहनत अपेक्षित है। कहानीकार की कहानियों में आदर्शवाद का रंग बहुत गहरा हैं। ‘हार’ कहानी में नायिका जिस भावुकता से डायमण्ड का हार गिरवी रखकर उसके पैसे एक अनजान महिला को इसलिये देती है कि वह मृत्यु के ग्रास मे फंसे अपने बेटे की जान बचा सके और उसका पति बजाय इस बात पर विचलित होने के फिर से पैसे खर्च कर उसे छुडाता है, यह प्रसंग बडा ही ऊहात्मक है। अविश्वसनीय है । यथार्थ से कोसो दूर है । अतिभावुकता है। यह आदर्शवाद भी नही है। यह तो फैन्टेसी है। हिन्दी कथा ने आदर्शवाद से किनारा तो प्रेमचंद के समय में ही कर लिया था। ‘गोदान’ तक आते-आते प्रेमचंद बिल्कुल यर्थाथवादी हो चुके थे ।

 

रूबी जी ने कहानियों में वातावरण का सृजन कम ही किया है । ‘आत्मनिर्भरता’ कहानी के प्रारम्भ में कलेजा कंपा देने वाली ठंढक का वातावरण तैयार तो किया गया है पर उसकी कोई उपादेयता सिद्ध नहीं हो पायी । इस वातावरण के बिना भी कहानी ज्यों की त्यों रहती । हालांकि कहानियों में वातावरण का बड़ा महत्व होता है । अगर चोरी का दृश्य दिखाना है तो वातावरण रहस्यमय होना ही चाहिये ।

 

कथाकार की सभी कहानियाँ वर्णनात्मक है। कहानी का घटना प्रधान होना आवश्यक है। रूबी जी में प्रतिभा है । वह धीरे-धीरे इन बारीकियो को सीख जायेंगी । मेरा उददेश्य उन्हें हतोत्साहित करना बिल्कुल नही है । मगर यदि हम ही अपने बच्चों को नही सिखायेंगे तो कौन उनका मार्ग दर्शन करेगा ।

बात तो सभी कहानियों पर ढेर सारी की जा सकती है, पर उसकी आवश्यकता मैं नहीं समझता । कहानी के तात्विक विेवेचन पर भी मैंने विचार नही किया। शीर्षक के औचित्य पर भी बात नहीं करूंगा। इसकी आवश्यकता कहानीकार के अग्रलेखन में हो सकेगी ।

 

रूबी जी को मैं कुछ टिप्स देना चाहता हॅू यदि वह गंभीरता से लेगी तो उनकी कहानी में पैनापन अवश्य आयेगा। हालांकि आजकल सीखने और सिखाने की जहमत कोई नहीं उठाता । पहली बात यह कि कथा लेखिका आदर्शवाद का मोह बिल्कुल छोड़ दें । आज का समय यर्थाथवाद के भी आगे अतियथार्थवाद का है। दूसरी बात कहानी में लेखक को अपनी बात कम से कम कहनी चाहिये । उसे पात्रों और घटनाओं के माध्यम से कथा को आगे बढ़ाना चाहिये । कहानीकार को कहानी सुनानी नही है उसे कहानी बनानी है । हम फिल्म या नाटक देखते हैं, वहाँ  हमें कहानी कोई सुनाता नहीं । पात्र, संवाद, घटनायें, वातावरण और प्रकृति के दृश्य इन्हीं से कथा संप्रेषित हो जाती है। हम क्यों कहे कि उसका पिता एक दुर्धटना मे मर गया था I  हम कथा से तालमेल बिठाते हुये दुर्घटना को घटते हुये क्यों न दिखायें ? कहानीकार किस्सागो नहीं होता वह कहानी रचता है,  सुनाता नहीं । पर वातावरण= सृजन करने का कार्य लेखक का ही होता है I

 

मैं अपनी गुर्वाज्ञा का पालन सग्रह की प्रशंसा में चार बोल बोलकर भी कर सकता था पर यह न्यायसंगत नहीं होता । इन कहानियों को पढकर मुझे ऐसा लगा कि रूबी जी की प्रतिभा को एक दिशा देने की आवश्यकता है I इसलिये मैने कुछ अनुभव साझा करने का प्रयास किया। इस छोटी सी उम्र में उनका संकलन आ गया । यह बड़ी बात है। इस बात पर हमे आश्चर्य भी नहीं है क्योंकि हम सब जानते है - तेजस्विनानाम् हि न वयः समीक्ष्यते ।

 

                                                                                                         537 ए/ 005, महाराजा अग्रसेन नगर,

                                                                                                                           फैजुल्लाहगंज, लखनऊ 

                                                                                                                                9795518526

(मौलिक/अप्रकाशित )

Views: 397

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, पोस्ट पर आने और सुझाव के लिए बहुत बहुत आभर।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service