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(आदरणीय संजीव सलिल जी की रचना)

(लोस एंजिल्स अमेरिका से अपनी मम्मी रानी विशाल के साथ ददिहाल-ननिहाल भारत आई नन्हीं अनुष्का के लिए है यह गीत)

लो भारत में आई अनुष्का.
सबके दिल पर छाई अनुष्का.

यह परियों की शहजादी है.
खुशियाँ अनगिन लाई अनुष्का..

है नन्हीं, हौसले बड़े हैं.
कलियों सी मुस्काई अनुष्का..

दादा-दादी, नाना-नानी,
मामा के मन भाई अनुष्का..

सबसे मिल मम्मी क्यों रोती?
सोचे, समझ न पाई अनुष्का..

सात समंदर दूरी कितनी?
कर फैला मुस्काई अनुष्का..

जो मन भाये वही करेगी.
रोको, हुई रुलाई अनुष्का..

मम्मी दौड़ी, पकड़- चुपाऊँ.
हाथ न लेकिन आई अनुष्का..

ठेंगा दिखा दूर से हँस दी .
भरमा मन भरमाई अनुष्का..

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Replies to This Discussion

बाल मन की बेहतरीन अभिव्यक्ति
प्रसंशा के लिए शब्द,
मैं लाऊं कहाँ से,
नही सूझता,
नन्हे भाई बिटवा
चिरंजीव भव:

बहुत सुंदर गीत
अपनी पड़-धेवती को पढ़ कर सुनायूगी (धेवती की बेटी को)
धन्यवाद
आपकी गुड्डोदादी चिकागो से
bahut sunder rachna
bahut hi sundar rachna...
अति सुन्दर बाल गीत !
बधाई !
"है नन्हीं, हौसले बड़े हैं.
कलियों सी मुस्काई अनुष्का.."
आदरणीय सलिल जी ,
एक सुंदर भावपूर्ण रचना |मन प्रफुल्लित हो गया |प्यारी नन्ही अनुष्का का उसके अपने देश में हार्दिक स्वागत है|आप की खुशियों में हम सब हैं शामिल |अब आप से वरिष्ठ रचनाकार को बधाई किन शब्दों में दूं ? हमें आपका आशीष चाहिए !!

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