For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-99 (विषय: 'हार-जीत')

आदरणीय साथियो,

सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-99 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। इस बार का विषय 'हार-जीत', तो आइए इस विषय के किसी भी पहलू को कलमबंद करके एक प्रभावोत्पादक लघुकथा रचकर इस गोष्ठी को सफल बनाएँ।  
:  
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-99
"विषय: 'हार-जीत' 
अवधि : 29-06-2023 से 30-06-2023 
.
अति आवश्यक सूचना:-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पाए इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता अपेक्षित है। देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने/लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
.    
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सकें है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)

Views: 343

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आयोजन में आपकी प्रतीक्षा है

धर्म संकट - लघुकथा - 

रामसिंह जी घर की देहरी पर से ही दहाड़ते हुए घुसे, "कहाँ है तुम्हारा लाड़ला? जब देखो तब हमारी पगड़ी उछालता रहता है।।

"क्या हुआ, क्यों इतना तमतमा रहे हो? लो थोड़ा ठंडा पानी पी लो।" 

रामसिंह  ने गुस्से में पानी का लोटा फेंक दिया,"आज तो इसने भरे समाज में हमारी नाक कटवा दी।

"अरे हुआ क्या कुछ बताइये भी?”

"चौधरी आज अपने साथ चार लठैत लेकर बैठक में आया था और सबके सामने चौबीस घंटे में पूरी रकम ब्याज सहित लौटाने का तक़ाज़ा कर गया है।

"लेकिन आपने चौधरी से कब पैसे लिये थे?”

"लिये थे भाग्यवान जब पिछले साल बाढ़ आई थी| फसल ख़राब हो गयी थी।मुन्ना की फ़ीस भरनी थी। तब इसी शर्त पर लिये थे कि वह इस बात का जिक्र किसी से नहीं करेगा।

"लेकिन अब इस मामले से मुन्ना का क्या लेना देना?”

"वही तो हमको भी जानना है। क्योंकि चौधरी गुस्से में बार बार यही बोल रहा था कि बाप कर्ज नहीं चुका पा रहा है और बेटा  नवाब बना फिरता है।माँ बाप ने बड़े बूढ़ों की इज्जत करना भी नहीं सिखाया है। 

यह शोर गुल सुनकर मुन्ना भी अपने कमरे बाहर आ गया।

क्या किया आज चौधरी के साथ? वह पूरे खानदान को गरिया कर गया है।

"ऐसी कोई विशेष बात तो नहीं हुई थी।

कुछ तो हुआ होगा।पर जो भी हुआ था, वही बता दो।" 

"हम सुबह नाई की दुकान पर गये थे। अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। चौधरी चचा आये और नाई को बोले,"पहले हमारी दाढ़ी बना दो। हमें कचहरी जाना है।

"हमने कहा कि चचा हमको भी जल्दी है।आज हमारा इंटरव्यू है। वे बोले कि रविवार को कैसा इंटरव्यू। ये सब बहाने हमें मत सिखाओ। 

हमने भी बोल दिया कि बहाने तो आप भी बना रहे हो। रविवार को तो कचहरी भी बंद रहती है।" 

मौलिक एवं अप्रकाशित

भाई तेजवीर जी, यह अप्रकाशित नहीं है। पहले पढ़ी जा चुकी है। 

  • चादर भर पाँव
    फिर एक अधबना पुल ढह गया। खूब हो- हल्ला हुआ। पक्ष- विपक्ष की छींटाकशी के उपरांत राहत- कार्य का जायजा हुआ। हानि की कुछ भरपाई की घोषणा हुई। संवेदना के संजोये हुए शब्द भी उच्चरित हुए।
    पुल निर्माता ठेकेदार से उसके एक अन्य ठेकेदार मित्र ने उपालंभ के लहजे में कहा, " आपकी मेहनत रंग लाती, पर विधि का विधान ही ऐसा है। क्या कीजियेगा?"
    "आप वाला कितने का था? रुपये छः हजार करोड़ का न? यह तो महज छः सौ करोड़ का था।" ठेकेदार ने चौका जड़ा।
    "बखिया मैं भी उधेड़ सकता हूँ। " मित्र ठेकेदार तिलमिला कर बोला।
    "आपकी तो पहले ही उधड़ चुकी है ।सी बी आई लग गई है। संभलिये। "
    "आपकी जाँच पुलिस कर लेगी। जिसकी जितनी लगी, उतनी लगी। बड़ा काम,बड़ा चढ़ावा।" मित्र ठेकेदार हड़बड़ाकर बोला और चलता बना।
    "मौलिक व अप्रकाशित"

विषय - हार जीत 

शीर्षक - तु कौन 

रवींद्र शहर के बड़े उद्योगपति लाला राम लाल का बेटा था । उसे हार जीत के खेल में  हमेशा जीतने की सनक सवार थी । हार को वो बहुत बड़े अपमान के तौर पे दिल में बिठा लेता था और अन्यत्र किसी न किसी बहाने से उस व्यक्ति का जान या माल का नुकसान कर के बदला लेता था । या अपने गुंडों से पिटवा कर भी उस व्यक्ति के लिए भय का वातावरण बना देता जिस से वो फिर कभी उसके सामने बैठने या उस से मुकाबला करने की जुर्रत न करे । एक बार कॉलेज में खेल कूद प्रतियोगिता चल रही थी । एक प्रथम सत्र का विद्यार्थी सुकेश जो की उस से २ वर्ष जूनियर था शतरंज के खेल में ६ स्तर पर अन्य विद्यार्थियों को हरा कर सेमी फाइनल में पहुंचा यहाँ उसका मुकाबला टीम बी के विजेता रवींद्र से था । प्रतियोगिता शाम को ५ बजे सुनिश्चित थी और जिस खेल में रवींद्र हो उसका कहना ही क्या सभी छात्र व छात्राएँ उसमें जरूर आते थे ये देखने की इस बार क्या गुल खिलने वाला है । 
रवींद्र १२ बजे सुकेश के घर पहुंचा और सुकेश को ताकीद की कि जैसे भी हो तुझे हारना ही है । इसलिए गेम में कोई होशियारी दिखाने की आवश्यकता नहीं है बस थोड़ी देर खेल के गलत चाल चल के उस की जीत सुनिश्चित करने का स्वांग रचना होगा , सुकेश समझदार व्यक्ति था , साथ ही वो कराटे में ब्लैक बेल्ट भी था उसे ऐसे मौकों पर संयम रखना घोट  घोट कर पिलाया गया था । सो वो उसकी बात का तात्पर्य समझ कर शांत भाव से वोला अरे दादा ये तो बहुत छोटी बात है । आप निश्चिंत रहें ।   आपके आदेश का पालन होगा , लेकिन शाम को ५ बजे से पहले ही वो गेम इंचार्ज के पास गया और उनको सारी बात बता दी । वो चिंता में पड़ गये बोले देखो सुकेश ये रवींद्र बहुत अड़ियल आदमी है । इस से सावधान रहना । वैसे तो हम सब हैं ही लेकिन फिर भी तुम प्रतियोगिता अपने हिसाब  से खेलना । बिना किसी भी के बाकी सभी अथॉरिटी आदि को मैं सूचित कर ही दूंगा । और तुम्हारी सुरक्षा का इंतजाम भी करा दूंगा । ये बहुत जिद्दी आदमी है । 
शाम ठीक समय पर प्रतियोगिता शुरू हुई । गेम का टाइम १० मिनट सेट कर दिया गया अर्थात १० मिनट में गेम का निर्णय होना चाहिए नहीं तो गेम ड्रा या जिस  खिलाड़ी के पॉइंट कम होंगे उसके हक में हार सुनिश्चित कर दी जाएगी । ये फैंसला सर्व मान्य होगा । 

दोनों से इस नोट पर हस्ताक्षर करने के बाद गेम शुरू करी गई । 
रवींद्र चूंकि सुकेश को हिदायत दे चुका था और सुकेश चूंकि बिना किसी हील हुज्जत के उसकी बात मान चुका था सो अपनी जीत के लिए निश्चिंत था । 
सुकेश जो की प्रान्तीय शतरंज का सदस्य था सो बहुत मंजा खिलाड़ी था उसने रवींद्र का एक भी मोहरा नहीं पीटा मात्र बचाव की गेम खेल रहा था ८ मिनट गुजर चुके थे रवींद्र बैचेन हो रहा था ये कैसा गेम है । उसके समझ नही आ रहा था । अब मात्र आखिरी मिनट बचा था । सुकेश ने उसकी बात भी रख ली थी । और हारा भी नही था । फिर अचानक एक पॉइंट पे सुकेश की रानी व हांथी ने रवींद्र के राजा को शै दी की रवींद्र के पास सोच सोच  के  कोई रास्ता नहीं निकला बचने का । इतने में टाइम खत्म और गेम टाइम के अनुसार सुकेश के हक में  हो गई । अब रवींद्र के चेहरे पे एक रंग आए और एक रंग जाए । वो गेम से बाहर था और सुकेश फाइनल में था । गुस्से में वो सीधा अपनी कार से कॉलेज से निकल गया । सारे विद्यार्थी स्तब्ध थे - 
सुकेश ने अपनी सूझ बूझ से एक बड़े बबाल को बचा लिया और अपनी जीत भी सुनिश्चित कर ली । 

मौलिक - अप्रकाशित  

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
4 hours ago
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
13 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
13 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service