For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-4 (विषय: बुनियाद)

आदरणीय साहित्य प्रेमियो,
सादर वन्दे।
 
यह बहुत ही हर्ष का विषय है कि "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" के पहले तीनो आयोजन बेहद सफल रहे। नए पुराने सभी लघुकथाकारों ने बहुत ही उत्साहपूर्वक इनमें सम्मिलित होकर इन्हें सफल बनाया। न केवल उच्च स्तरीय लघुकथाओं से ही हमारा साक्षात्कार हुआ बल्कि एक एक लघुकथा पर भरपूर चर्चा भी हुई। गुणीजनों ने न केवल रचनाकारों का भरपूर उत्साहवर्धन ही किया अपितु रचनाओं के गुण दोषों पर भी खुलकर अपने विचार प्रकट किए।  यह कहना कोई अतिश्योक्ति न होगी कि यह आयोजन लघुकथा विधा के क्षेत्र में मील के पत्थर साबित हुए हैं । तो साथियो, इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए प्रस्तुत है....
 
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-4  
विषय : "बुनियाद"
अवधि : 30-07-2015 से 31-07-2015 
(आयोजन की अवधि दो दिन अर्थात 30 जुलाई 2015 दिन गुरूवार से 31 जुलाई 2015 दिन शुक्रवार की समाप्ति तक)
 (फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 30 जुलाई 2015, दिन गुरूवार लगते ही खोल दिया जायेगा)
.
अति आवश्यक सूचना :-
१. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक सर्वश्रेष्ठ लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
२.सदस्यगण एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।
३. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
४. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
५. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी लगाने की आवश्यकता नहीं है।
६. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
७.  नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
८. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है।
९. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं। रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें।
१०. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें।
.
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 21195

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

दोहरी मानसिकता का उम्दा चित्रण हुआ है । कथनी और करनी का फर्क स्पष्ट उजागर हुआ है । सादर ।

आदरणीया शशि जी प्रयास की सराहना हेतु आभार 

आदरणीय मिथिलेश जी, कथ्य की दृष्टि से नवीनता भले ही कम है किन्तु प्रयास अच्छा है। बधाई स्वीकार कीजिए। 

आदरणीय बड़े भाई  धर्मेन्द्र  जी,  प्रयास की सराहना हेतु आभार 

असल बुनियाद  (संशोधित लघुकथा )

ट्रॉफी लेकर, बेटा स्कूल से घर आया तो देखा पापा बेडरूम की अलमारी से नोटों की गड्डियाँ ब्रीफकेस में रख रहे थे.

“पापा मुझे स्पीच में फर्स्ट प्राइज मिली है.”

“वेरी गुड बेटा..... मेरे बेटे ने कैसे स्पीच दी?”

“पापा जैसा आपने बताया था बिलकुल वैसे ही ....हम्म्म..... हमेशा सत्य बोलना चाहिए. झूट बोलना पाप है. गांधीजी हमेशा सत्य बोलते थे. सत्य की हमेशा जीत होती है....और परोपकार..... परोपकार, मतलब दूसरों पर उपकार करना. परोपकार सबसे बड़ा धर्मं है. असहाय लोगो का सदैव सहयोग करना चाहिए. यही परोपकार है” 

तभी कॉलबेल बजी और पत्नी ने आकर फुसफुसाया- “किशन भैया आये है. कह रहे है कि मीना अभी भी कोमा में है.”

सुनते ही ब्रीफकेस बंद किया और ड्राइंग रूम पहुँच गए. ट्रॉफी लिए बेटा भी ड्राइंग रूम के दरवाजे के आड़ में खड़ा रहा.

“किशन अभी तो मैं ऑफीस जा रहा हूँ जरुरी मीटिंग है. पूरे पैसो का इंतजाम होते ही तुम्हे फोन करता हूँ.  अस्पताल जाओ अभी तुम ... और हाँ ये कुछ पैसो का इंतजाम किया है.ये ले जाओ." और  ब्रीफकेस किशन को थमा दिया.

बेटे ने पल भर अपनी चमकती ट्रॉफी को देखा तो उसे लगा ये पापा के गाल है और उसने ट्रॉफी को चूम लिया.

(मौलिक व अप्रकाशित)

आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, 'कथनी और करनी' वाली लघुकथा को 'हकीकत' वाली करके ही दम लिया। आपका लघुकथा विधा को लेकर जज्बा और जुनून देखकर बहुत सुखद अनुभूति हो रही है। संसोधित लघुकथा काफी असर छोड़ गई है बच्चों को हमें बोलकर नहीं करके सीखाना चाहिए। इसी से असली बुनियाद बनती है। बधाई स्वीकार करें।

आदरणीय विनोद जी, सही कहा आपने, हमें बच्चों को बोलकर नहीं बल्कि करके सिखाना चाहिए. इसी से असली बुनियाद बनती है. आपको मेरा प्रयास अच्छा लगा ये जानकार मुझे भी सुखद अनुभूति हो रही है, आनंदित हूँ. आप जैसे बेहतरीन लघुकथाकार से इस विधा में मेरे जैसे नए अभ्यासी का सराहा जाना मेरे लिए बहुत मायने रखता है. मेरे प्रयास के मुखर अनुमोदन और आत्मीय सराहना के लिए हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद.

आदरणीया रेखा मोहन जी, आपने सही कहा कि बच्चों को अच्छी बाते सिखाना, माँ बाप का कर्तव्य होता है, परन्तु उनका निर्वहन बहुत ही कम लोग कर पाते हैं. लघुकथा के मर्म से जुड़ते हुए इसके मुखर अनुमोदन के लिए आपका हृदय से आभारी हूँ. बहुत बहुत धन्यवाद.

काम शब्दों में बहुत कुछ कह देना यही तो कला है लधुकथा की, बहुत सुन्दर लधु कथा कही आदरणीय मिथिलेश जी वाकई हमारी बुनियाद कमज़ोर पड़  रही है| सही तो ये है के इंसान को जो रिज़्क़ मिलता है उसमें रिश्तेदारों और गरीबों का भी हिस्सा होता है ये बात हमें कब समझ आएगी……..

उत्तम रचना कर्म के लिए बधायी..

आदरणीय नादिर खान सर, आपने सही कहा कि  वाकई हमारी बुनियाद कमज़ोर पड़  रही है. हमारी अर्जित आय केवल हमारी जीविका तक सीमित नहीं होती है इसमें असहाय भी सम्मिलित होते है.आपको लघुकथा पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ. इस सराहना और उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभारी हूँ. बहुत बहुत धन्यवाद. 

आदः मिथिलेश भाई आप की रचना पर आयी प्रतिक्रियाओ के बाद मैं क्या लिखुं बरहाल एक बात काबिले गौर है भाई जी कि आपने एक ही रचना के अलग अलग रूप पेश करके हम सीखने वालो को एक नया पाठ जरूर दे दिया जो अक्सर एक ही ढर्रे पर लिखते चले जाते है। सादर बधाई आदरणीय।

आदरणीय वीरेंदर जी, मेरे प्रयासों का मुखर अनुमोदन करने के लिए आपका हार्दिक आभार. यह भी अवश्य है कि मेरे द्वारा प्रस्तुत लघुकथा 'घिसे-पिटे विषय' पर होने और शिल्प स्तर पर कमज़ोर होने के कारण 'एक हलकी प्रस्तुति' दिखने लगी थी. इस आयोजन में अपनी रचनाओं को प्रस्तुत करने का उद्देश्य गद्य की इस विशिष्ट विधा पर रचना के परिप्रेक्ष्य में चर्चा करना है कि रचना विधा अनुरूप है अथवा नहीं. ये लाइव आयोजन रचनाओं का संकलन स्थल नहीं बल्कि एक अद्भुत कार्यशाला है जहाँ गुणीजनों के मार्गदर्शन, सीखने-सिखाने की परंपरा और आपसी चर्चा से रचना में विधा अनुरूप सुधार किया जाना अपेक्षित होता है. यहाँ 'कोरी वाहवाही' को कभी भी, कोई भी स्थान नहीं मिला है. जिसका परिणाम एक हलकी रचना का लघुकथा में बदलना है. इस लघुकथा की विषयगत और शिल्पगत त्रुटियों पर गुनीजनों द्वारा जैसे जैसे मार्गदर्शन किया गया उसी के अनुरूप इसका स्वरुप बदलता गया और इसके पुनः पुनः पाठ प्रस्तुत होते गए. यह प्रयास आपको अच्छा लगा, ये मेरे लिए भी आश्वस्तकारी है. पुनः मेरे प्रयासों को मान देने के लिए हार्दिक आभार. सादर 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Monday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service