Tags:
Replies are closed for this discussion.
आदरनीय मिथिलेश जी, आप की लगुकथा, हमारे समाज में ऐसे किरदारों पर अच्छी चोट है, जो हमारी बुनियाद को दीमक लगा रही है
आदरणीय मोहन बेगोवाल सर, लघुकथा के प्रयास पर अनुमोदन हेतु हार्दिक आभार. इस मूल रचना में लघुकथा विधा के अनुरूप शिल्पगत त्रुटियाँ थी जिसे संशोधित लघुकथा [असल बुनियाद] में सुधार कर लिया है. सादर
आदरणीया सीमा जी मेरे प्रयास के अनुमोदन के लिए हार्दिक आभार... बहुत बहुत धन्यवाद
बुनियाद (लघुकथा)
==============
सुधाकर गुप्ता का ज्वर आज तीसरे दिन भी तेज़ बना हुआ था. रोहिणी सिरहाने बैठी उनका सिर सहलाये जा रही थी. रिटायरमेण्ट के सात वर्ष हो गये. दोनों यों ही निभाये चले जा रहे हैं. तभी इस निर्वाक में लैण्डलाइन घनघना उठा. 
"कैसी हो मम्मा ?" - राजेश था, उनका बेटा. तीन साल हो गये, राजेश हर पाँचवे-सातवें दिन ऑफिस से इसी तरह फोन घुमा देता है. 
"ठीक हूँ बेटा.. कैसे हो तुम.. तुम सब ?"
"एकदम ठीक मम्मा.. यू नो.. रोहन लास्ट मण्डे से स्कूल जाने लगा है.. " 
"बहुत अच्छा.. "
"मम्मा, अंशु को भी रिसेण्टली एक जॉब मिल गयी.. गुड ना ? घर में बैठी बोर होती थी. मेरे भी इधर सब ठीक है.. हाउ अबाउट डैड ?"
"वो भी ठीक हैं.. "
"वेर्रीऽऽ गुड.. लेकिन तुम्हारी आवाज़ क्यों नरम है ?.. बी हैप्पी.. यू आर माइ मॉम.. वी ऑल मिस यू मम्मा.."
"हाँ बेटे.. अपना ख़याल रखना.. "
"येस मम्मा.. लव यू.. टेक केयर.."
गुप्ताजी ने देखा, रोहिणी की आँखें पूरी तरह से डबडबायी हुई थीं.
"पगली.. इन घड़ियों की बुनियाद तो उसी दिन पड़ गयी थी, जब हम गाँव में अम्मा-बाबूजी को छोड़ यहाँ सेटल हो गये थे.. बाबूजी कितना..  पर.. "
******************
(मौलिक और अप्रकाशित)
लघुकथा आपको पसंद आयी और इसका मर्म स्पष्ट हुआ इसके लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीया कान्ताजी.
अच्छी लघुकथा है आo सौरभ भाई जी । 11 बजकर 57 मिनट पर विंडो क्रेश हो गई। सेल से लिख रहा हूँ रचना पर कल दोबारा आता हूँ।
आदरणीय योगराजभाईजी, बेसब्री से आपके दुबारा आने का इंतज़ार रहेगा.
आदरणीया अर्चनाजी, आपको मेरा प्रयास रुचिकर एवं आश्वस्तिकारी लगा, इस हेतु हार्दिक धन्यवाद
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
    © 2025               Created by Admin.             
    Powered by
    
    
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |