For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ओ बी ओ लखनऊ चैप्टर की साहित्य संध्या /काव्य गोष्ठी माह अक्टूबर 2015 पर एक संक्षिप्त रिपोर्ट

ओ बी ओ लखनऊ चैप्टर की साहित्य संध्या /काव्य गोष्ठी माह अक्टूबर 2015 पर एक संक्षिप्त रिपोर्ट
- डा0 गोपाल नारायण श्रीवास्तव

 

दिनांक 11-10-2015 , रविवार सायं 4 बजे ओ बी ओ , लखनऊ चैप्टर की साहित्य संध्या / काव्य गोष्ठी डा0 गोपाल नारायण के आवास ई एस -1/436, सीतापुर रोड योजना कॉलोनी , अलीगंज सेक्टर ए, लखनऊ में प्रारम्भ हुयी I डा0 श्रीवास्तव की अध्यक्षता में कार्यक्रम का सञ्चालन मनोज कुमार शुक्ल ‘मनुज’ द्वारा किया गया I
ओ बी ओ , लखनऊ चैप्टर की यह साहित्य संध्या पूर्णतः काव्यपाठ पर आधारित रही , इसका आगाज मनोज कुमार ‘मनुज’ ने सुमधुर वाणी वंदना के साथ किया I वाणी वंदना के तुरंत बाद संचालक मनुज ने ओ बी ओ के पुराने प्रतिबद्ध सदस्य केवल प्रसाद ‘सत्यम’ का आह्वान काव्य पाठ हेतु किया I केवल जी ने कई अंदाज की कवितायें सुनायी I कुछ मात्रिक और वर्णिक छंदों में सजी रचनाओं से आप्यायित किया किन्तु उनकी नयी अतुकांत कविता ‘शहर का बाजार’ अधिक सराही गयी I कविता के कुछ अंश इस प्रकार हैं –
शहर के उस कोने में
बजबजाता बड़ा सा बाजार
तोल-मोल करते लोग
कुछ सुनायी नहीं देता
बस! दिखाई देता है
एक गंदा तालाब
सेवा निवृत भू-वैज्ञानिक श्री एस सी ब्रह्मचारी ने पुराने दिनों को याद करते हुए अपनी तरुणाई की एक शृंगारिक रचना ‘सखी रे , फागुन के दिन आये’ सुनायी i इस कविता में एक विरहिणी की पीड़ा को मार्मिक अभिव्यक्ति प्रदान की गयी है I यथा –
अबकी फागुन कैसे बीते
सोच-सोच अलसाये नैना
पिछली बातें याद आ रहीं
बड़ी कठिन विरहिन की रैना
नस नस में सिहरन जागे सखि बैरन नींद न आये
फागुन के दिन आये
ओ बी ओ लखनऊ चैप्टर के संयोजक डा0 शरदिंदु मुख्रर्जी ने ‘औकात’ नामक कविता के माध्यम से न केवल मनुष्य की ‘औकात’ बताई अपितु सिखाई , दिखायी और सुनायी भी I कविता के अंत में नयी औकात का भी पर्दाफाश होता है I यह कविता एक विशेष वैचारिक मंथन में डालती है I उनकी नवीनतम रचना ‘लेबर चौक ‘ ने अपने शिल्प और सन्देश दोनों से प्रभावित किया i इस कविता को विशेष अनुरोध पर फिर से सुना गया I कविता का शाब्दिक वपुष निम्नवत है –
फटी धोती
मैले टूटे चप्पल
फावड़ा, गैंती
और
छेद लिए सकुचाये
तसले से सुसज्जित
कुछ निहत्थे लोग
भूख के धागे में पिरोये
सपनों के टुकड़े लिये
एक हाथ की प्रतीक्षा में हैं
वह चाहे इशारा हो
या
सहारा !

युवा गजलकार और वाणी - संगीत के वरद हस्ताक्षर आलोक रावत ‘आहत लखनवी’ ने अपनी पुरसर और सुरों के जादू से एक सम्मोहन सा उत्पन्न किया i उनकी सद्यरचित ग़ज़ल जो उन्होंने सार्वजनिक मंच पर पहली बार सुनायी , इस प्रकार है –
ईमान से तस्वीर बनाई नहीं गयी
जो बात सच थी सामने लाई नहीं गयी
बच्चे समझ न पाए मुहब्बत की नजाकत
और राह बुजुर्गों से दिखाई नहीं गयी
अपने लिये ही सोचता इंसान रह गया
इंसान के दिल से ये बुराई नहीं गयी
उपस्थित कवियों के विशेष अनुरोध पर आहत लखनवी ने अपनी सुप्रसिद्ध ग़ज़ल ‘ मेरी जिन्दगी में उजाले बहुत हैं ‘ सुनायी I कहना न होगा कि इस ग़ज़ल की कहन सुनते ही बनती है I इस ग़ज़ल का आखिरी शेर उदाहरण स्वरुप प्रस्तुत है –
ये रहने भी दो अपने अश्के मुरौव्वत
मेरी मौत पर रोने वाले बहुत हैं I
संचालक मनोज कुमार ‘मनुज’ ने कई ओजपूर्ण कविताएं सुनायी I उनकी कविताओं में जीवन के विविध रंग रूपायित होते जान पड़ते हैंI उनकी अभिव्यक्ति में एक साफगोई है जो कविता को संप्रेष्य बनाती है I यथा –
तेरे छल-छंद की सब कोशिशें बेकार जाती हैं
नजर मेरी तेरी कातिल नजर को ताड़ जाती है
तेरी झूठी कहानी को है पल भर में समझ लेती
नजर मेरी मुखौटों के होकर पार जाती है
साहित्य संध्या के अंतिम कवि के रूप में डा0 गोपाल नारायन श्रीवास्तव ने कुछ भावपूर्ण गीत सुनाये , जिनमे ‘मैं जी लूँगा’, ‘रोना है, परिहास नहीं है ‘ और ‘युग पुरुष’ प्रमुख थीं I‘रोना है, परिहास नहीं है’ कविता-प्रेम की गंभीर भावनाओं से सजी और लौकिक प्रेम को आध्यात्मिक ऊंचाईयों तक ले जाने में समर्थ प्रतीत होती है i इसका अंतिम बंद ही इस धारणा को पुष्ट करने का प्रमाणिक दस्तावेज है -
जब भी ध्वंस प्रलय रचता है
सब कुछ शांत सहज हो जाता
सृष्टि महा अम्बुधि में घुलती
जल जल कर सब जल हो जाता
सच्चित का ऐसा प्लावन हो तब अनहद सायास नहीं है
धीरे-धीरे अश्रु थमेंगे, रोना है परिहास नहीं है
इस काव्य पाठ के बाद उपस्थित कवियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन हुआ और साहित्य-संध्या
आगामी माह के आयोजन तक के लिए स्थगित की गयीI

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 726

Reply to This

Replies to This Discussion

जिस तरह से ओबीओ का लखनऊ चैप्टर अपना मासिक आयोजन करता है वह उत्साह और आशा के साथ-साथ हमसभी के लिए प्रेरणा का भी कारण होता है. समुचित संसाधनों से काव्य-संदेशों की भावाभिव्यक्ति सम्मान के भाव जगाती है. 

इस बार की गोष्ठी आदरणीय गोपाल नारायनजी के आवास पर सम्पन्न हुई यह जानकर बड़ा ही अच्छा लगा. गोष्ठी को सोत्साह सम्पन्न कराने के लिए भाई मनोजजी, शरदिन्दुजी के साथ ब्रह्मचारी जी, केवल प्रसादजी तथा आहत लखनवी जी को हार्दिक बधाइयाँ. 

शुभेच्छाएँ

आ० सौरभ जी , आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रया  से हम प्रेरणा ग्रहण करते हैं . आप भी हमारे चैप्टर के  सदस्य हैं . आपकी सहभागिता से हम गौरवान्वित होंगे , यदि आप कभी समय निकाल सकें . सादर.

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा जी, बहुत धन्यवाद। "
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी, बहुत धन्यवाद। "
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, आप का बहुत धन्यवाद।  "दोज़ख़" वाली टिप्पणी से सहमत हूँ। यूँ सुधार…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"//दोज़ख़ पुल्लिंग शब्द है//... जी नहीं, 'दोज़ख़' (मुअन्नस) स्त्रीलिंग है।  //जिन्न…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी, बहतर है।"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया। आशा है कि…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी की  टिप्पणी क़ाबिले ग़ौर…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी नमस्कार बेहतरीन ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये हेर शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ है, फिर भी…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गिरह ख़ूब, अमित जी की टिप्पणी…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service