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sanjiv verma 'salil''s Discussions (1,064)

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सदस्य टीम प्रबंधन

"कोशिश जारी रखिये... आगे लय पर कुछ अधिक ध्यान दें मायूषियों नहीं मायूसियों."

sanjiv verma 'salil' replied Sep 18, 2010 to OBO लाइव तरही मुशायरा-3 (Now Closed)

380 Sep 23, 2010
Reply by योगराज प्रभाकर

सदस्य टीम प्रबंधन

"अच्छी रचना है. अक्स सारे-के-सारे कहीं खो गये धूल बस आइनों पर जमी रह गई में 'बस' की…"

sanjiv verma 'salil' replied Sep 18, 2010 to OBO लाइव तरही मुशायरा-3 (Now Closed)

380 Sep 23, 2010
Reply by योगराज प्रभाकर

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"कोशिश सराहनीय है. यूँ तो हमें थी नहीं मुहब्बत फिर क्यों ज़िंदगी में तुम्हारी कमी रह…"

sanjiv verma 'salil' replied Sep 18, 2010 to OBO लाइव तरही मुशायरा-3 (Now Closed)

380 Sep 23, 2010
Reply by योगराज प्रभाकर

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"अच्छी कोशिश."

sanjiv verma 'salil' replied Sep 18, 2010 to OBO लाइव तरही मुशायरा-3 (Now Closed)

380 Sep 23, 2010
Reply by योगराज प्रभाकर

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"बहुत अच्छी रचना. लाल जोड़ा पहन साँझ बिछड़ी जहाँ, साँस दिन की वहीं पर थमी रह गई। इस श…"

sanjiv verma 'salil' replied Sep 18, 2010 to OBO लाइव तरही मुशायरा-3 (Now Closed)

380 Sep 23, 2010
Reply by योगराज प्रभाकर

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"देश की कल्पना खोई आकाश में एक उम्मींद सी देखती रह गई वाह... वाह.."

sanjiv verma 'salil' replied Sep 18, 2010 to OBO लाइव तरही मुशायरा-3 (Now Closed)

380 Sep 23, 2010
Reply by योगराज प्रभाकर

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"बात पल्लव ने की है समझदारी की. बस बहर में कहीं कुछ कमी रह गयी.."

sanjiv verma 'salil' replied Sep 18, 2010 to OBO लाइव तरही मुशायरा-3 (Now Closed)

380 Sep 23, 2010
Reply by योगराज प्रभाकर

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"वाह... वाह... यह है उस्तादाना ग़ज़ल जिसकी दाद देने में भी सलाहियत की दरकार है."

sanjiv verma 'salil' replied Sep 18, 2010 to OBO लाइव तरही मुशायरा-3 (Now Closed)

380 Sep 23, 2010
Reply by योगराज प्रभाकर

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"नवीन जी! हर शे'र एक से बढ़कर एक... पूरी ग़ज़ल दिल तक पहुँचाने में समर्थ है. बधाई."

sanjiv verma 'salil' replied Sep 18, 2010 to OBO लाइव तरही मुशायरा-3 (Now Closed)

380 Sep 23, 2010
Reply by योगराज प्रभाकर

"पाठ २ की सामग्री उपयोगी है. मकाँ,जहाँ,समाँ आदि के सम्बन्ध में निवेदन है कि जब शब्द क…"

sanjiv verma 'salil' replied Sep 6, 2010 to गज़लशाला ( आप भी जाने कि ग़ज़ल कैसे कही जाती है )

50 Jan 18, 2011
Reply by Admin

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अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
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