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Sheikh Shahzad Usmani's Discussions (5,109)

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"सुख को परिभाषित करती एक भिन्न तरह की बढ़िया प्रस्तुति के लिए सादर हार्दिक बधाई आदरणी…"

Sheikh Shahzad Usmani replied Jul 31, 2017 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-28 (विषय: सुख)

936 Aug 1, 2017
Reply by rajesh kumari

"बढ़िया कथानक पर महिला के 'सुख' को उभारती बढ़िया प्रस्तुति के लिए सादर हार्दिक बधाई आ…"

Sheikh Shahzad Usmani replied Jul 31, 2017 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-28 (विषय: सुख)

936 Aug 1, 2017
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"कुबुद्धि पर सुबुद्धि की विजय के साथ 'उम्मीदों के सुख' और 'दायित्वबोध के अमूल्य सुख'…"

Sheikh Shahzad Usmani replied Jul 31, 2017 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-28 (विषय: सुख)

936 Aug 1, 2017
Reply by rajesh kumari

"विषयांतर्गत कुटिलता, अवसरवादिता के सम्मिश्रण के साथ 'कृत्रिम सुख' को शाब्दिक करती बे…"

Sheikh Shahzad Usmani replied Jul 31, 2017 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-28 (विषय: सुख)

936 Aug 1, 2017
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"लट्ठ मारते समय पक्ष या विरोध में भारतीय पत्नी सरला का कोई संवाद शामिल क्यों नहीं हो…"

Sheikh Shahzad Usmani replied Jul 31, 2017 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-28 (विषय: सुख)

936 Aug 1, 2017
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"आदरणीय शिखा जी, रचना के आरंभ में 'आधी रात' के समय का उल्लेख है (जिसमें बदलाव की सलाह…"

Sheikh Shahzad Usmani replied Jul 31, 2017 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-28 (विषय: सुख)

936 Aug 1, 2017
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"शौहर द्वारा चाय के कप व फ्रिज़ की बोतलों के आकार-प्रकार (कप के होंठ)(ज़ीरो फिगर) तथा…"

Sheikh Shahzad Usmani replied Jul 31, 2017 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-28 (विषय: सुख)

936 Aug 1, 2017
Reply by rajesh kumari

"रचना पटल पर शिरक़त कर प्रोत्साहित करने के लिए सादर हार्दिक धन्यवाद आदरणीय विनय कुमार…"

Sheikh Shahzad Usmani replied Jul 31, 2017 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-28 (विषय: सुख)

936 Aug 1, 2017
Reply by rajesh kumari

"आदाब। मेरी इस लघुकथा पर शिरक़त कर अनुमोदन व हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहु…"

Sheikh Shahzad Usmani replied Jul 31, 2017 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-28 (विषय: सुख)

936 Aug 1, 2017
Reply by rajesh kumari

"सौभाग्य है हमारा कि हमारी प्रविष्ठियों पर बारी-बारी से अपनी गौरवमयी उपस्थिति द्वारा…"

Sheikh Shahzad Usmani replied Jul 31, 2017 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-28 (विषय: सुख)

936 Aug 1, 2017
Reply by rajesh kumari

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pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"कभी इधर है कभी उधर है भाती कभी न एक डगर है इसने कब किसकी है मानी क्या सखि साजन? नहीं जवानी __ खींच-…"
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"आदरणीय तमाम जी, आपने भी सर्वथा उचित बातें कीं। मैं अवश्य ही साहित्य को और अच्छे ढंग से पढ़ने का…"
6 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय सौरभ जी सह सम्मान मैं यह कहना चाहूँगा की आपको साहित्य को और अच्छे से पढ़ने और समझने की…"
8 hours ago
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"मुकरियाँ +++++++++ (१ ) जीवन में उलझन ही उलझन। दिखता नहीं कहीं अपनापन॥ गया तभी से है सूनापन। क्या…"
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Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"  कह मुकरियां :       (1) क्या बढ़िया सुकून मिलता था शायद  वो  मिजाज…"
17 hours ago

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"रात दिवस केवल भरमाए। सपनों में भी खूब सताए। उसके कारण पीड़ित मन। क्या सखि साजन! नहीं उलझन। सोच समझ…"
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"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' साहब! हार्दिक बधाई आपको !"
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