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अरुण कुमार निगम's Discussions (3,693)

Discussions Replied To (2587) Replies Latest Activity

"करो वही जो कहे दिल, सुनो हजार बात खिजाँ का दौर भी हो तो, करो बहार की बात । न हौसलों…"

अरुण कुमार निगम replied Feb 24, 2017 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-80

527 Feb 26, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"तरही ग़ज़ल -   माँगने हक़ चल पड़ा दिल दरबदर होने को है खार ओ अंगार में इसकी बसर होने को…"

अरुण कुमार निगम replied Jan 27, 2017 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-79

652 Jan 28, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"आदरणीय कालीपद जी, वर्तमान सन्दर्भों में सुन्दर कविता. मुसलाधार को मूसलाधार कर लीजिएग…"

अरुण कुमार निगम replied Jan 13, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" डायमण्ड जुबली अंक

970 Jan 15, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"आदरणीय विजय शंकर जी, प्रदत्त विषय पर छोटी किन्तु सारगर्भित कविता हेतु बधाइयाँ......"

अरुण कुमार निगम replied Jan 13, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" डायमण्ड जुबली अंक

970 Jan 15, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"आदरणीय चौथमल जी, सुन्दर प्रवाह, सुन्दर शब्दांकन, बधाइयाँ. लुखी को रूखी कहना उचित होग…"

अरुण कुमार निगम replied Jan 13, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" डायमण्ड जुबली अंक

970 Jan 15, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"आदरणीय हेमंत जी, सुन्दर प्रस्तुति. अतुकांत कविताओं में उनका अपना प्रवाह होता है. आपक…"

अरुण कुमार निगम replied Jan 13, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" डायमण्ड जुबली अंक

970 Jan 15, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"आदरणीय सतविन्द्र जी, सुन्दर नवगीत हेतु बधाइयाँ ......"

अरुण कुमार निगम replied Jan 13, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" डायमण्ड जुबली अंक

970 Jan 15, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"आदरणीय समर कबीर जी, प्रदत्त विषय पर सुन्दर दोहे, बधाइयाँ....... दूसरे दोहे में "होत…"

अरुण कुमार निगम replied Jan 13, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" डायमण्ड जुबली अंक

970 Jan 15, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"आदरणीय सुरेन्द्र नाथ जी , कृषक के जीवन के विविध आयाम कुशलता से चित्रित हुए हैं. शब्द…"

अरुण कुमार निगम replied Jan 13, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" डायमण्ड जुबली अंक

970 Jan 15, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"आदरणीय अखिलेश जी, इस विशेषांक की शानदार शुरुवात घनाक्षरी से करने हेतु बधाइयाँ. हर घन…"

अरुण कुमार निगम replied Jan 13, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" डायमण्ड जुबली अंक

970 Jan 15, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

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Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
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"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
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Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
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Ravi Shukla commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत अच्छी गजल आपने कहीं करवा चौथ का दृश्य सरकार करती  इस ग़ज़ल के लिए…"
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"आदरणीय धर्मेंद्र जी बहुत अच्छी गजल आपने कहीं शेर दर शेर मुबारक बात कुबूल करें। सादर"
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Ravi Shukla commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी गजल की प्रस्तुति के लिए बहुत-बहुत बधाई गजल के मकता के संबंध में एक जिज्ञासा…"
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Ravi Shukla commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय सौरभ जी अच्छी गजल आपने कही है इसके लिए बहुत-बहुत बधाई सेकंड लास्ट शेर के उला मिसरा की तकती…"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर आपने सर्वोत्तम रचना लिख कर मेरी आकांक्षा…"
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Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे... आँख मिचौली भवन भरे, पढ़ते   खाते    साथ । चुराते…"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"माता - पिता की छाँव में चिन्ता से दूर थेशैतानियों को गाँव में हम ही तो शूर थे।।*लेकिन सजग थे पीर न…"
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सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे सखा, रह रह आए याद। करते थे सब काम हम, ओबीओ के बाद।। रे भैया ओबीओ के बाद। वो भी…"
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