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rajesh kumari's Discussions (9,804)

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"वाह्ह्ह प्रदत्त विषय को सार्थक करती सुंदर ग़ज़ल आद० मनन कुमार जी बहुत बहुत बधाई आपको ह…"

rajesh kumari replied Feb 10, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-76

878 Feb 11, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"नयी सुबहस्वच्छता अभियानलक्ष्य झुग्गियाँ।।--वाह्ह्ह्हह वाह्ह्ह्ह जबरदस्त कटाक्ष  बहुत…"

rajesh kumari replied Feb 10, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-76

878 Feb 11, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"बड़े शह्र में झुग्गियों के उपेक्षित अस्तित्व को दर्शाती सुंदर प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"

rajesh kumari replied Feb 10, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-76

878 Feb 11, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"बीड़ी-बोतल की दलदल में खाँस रही है रात बर्तन की आवाज़ जता दें, हर घर के हालात भिनसारे…"

rajesh kumari replied Feb 10, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-76

878 Feb 11, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"पाँचों क्षणिकाएँ शह्र के सो काल्ड विकास पर जबरदस्त तमाचा हैं अंतिम क्षणिका तो बहुत ज…"

rajesh kumari replied Feb 10, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-76

878 Feb 11, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"प्रदत्त विषय को सार्थक करती प्रस्तुति जो शह्र के सुख दुःख का हिस्सा हैं वही झुग्गिया…"

rajesh kumari replied Feb 10, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-76

878 Feb 11, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"बहुत सुन्दर वाह्ह्ह्ह प्रदत्त शीर्षक/विषय  को शाब्दिक करती यह रचना झुग्गियों की वास्…"

rajesh kumari replied Feb 10, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-76

878 Feb 11, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"झुग्गियों का अस्तित्व किसी के लिए असहनीय किसी के लिए रोटी सकने का जरिया उसकी निर्धनत…"

rajesh kumari replied Feb 10, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-76

878 Feb 11, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

"ग़ज़ल "झुग्गियाँ" आग पानी शीत गर्मी सह  रही है झुग्गियाँ शह्र के अल्ताफ़* पर ही रह रही…"

rajesh kumari replied Feb 10, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-76

878 Feb 11, 2017
Reply by मिथिलेश वामनकर

प्रधान संपादक

"सुंदर सफल आयोजन तदुपरांत लघु कथाओं का ये सुंदर गुलदस्ता दोनों के लिए बहुत- बहुत बधाई…"

rajesh kumari replied Feb 7, 2017 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-22 में स्वीकृत लघुकथाएँ

59 Feb 8, 2017
Reply by Manan Kumar singh

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२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
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२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
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