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डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव's Discussions (3,041)

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"आ० बहुत उम्दा गजल , बेहतरीन"

डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव replied Oct 14, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-84

610 Oct 14, 2017
Reply by सतविन्द्र कुमार राणा

"वक़्त का रूख देख कर, ढल जाए हर शाम ||ताकि जीव सब सो सकें, अपने अपने धाम ||वह तो वैसे…"

डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव replied Oct 14, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-84

610 Oct 14, 2017
Reply by सतविन्द्र कुमार राणा

"वो इक चराग़ था दहलीज़ पर मेंरी रौशन बस इतनी बात पे देखो मचल गया सूरज।---------------…"

डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव replied Oct 14, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-84

610 Oct 14, 2017
Reply by सतविन्द्र कुमार राणा

" सुन्दर  बालोपयोगी कविता  आ०"

डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव replied Oct 14, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-84

610 Oct 14, 2017
Reply by सतविन्द्र कुमार राणा

"चाँद चाँदनी देता लेकिन सच में यह सूरज से ही लेता।----------------------बढ़िया  सतविंद…"

डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव replied Oct 14, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-84

610 Oct 14, 2017
Reply by सतविन्द्र कुमार राणा

"श्रम की देवी को हम स्वेद से नहलाकर करेंगे जब प्रणिपात ये सूरज निकलेगा---------------…"

डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव replied Oct 13, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-84

610 Oct 14, 2017
Reply by सतविन्द्र कुमार राणा

"क्या रोज़ सांझ की दहलीज़ पर मेरा ताप हार जाएगा ये तिमिर मेरे अहं के ताप को निगल जायेगा…"

डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव replied Oct 13, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-84

610 Oct 14, 2017
Reply by सतविन्द्र कुमार राणा

"किन्तु युगों युगों से डूबना उबरना डूबना फिर उबरना मगर ताब में रत्ती भर भी कोई कमी नह…"

डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव replied Oct 13, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-84

610 Oct 14, 2017
Reply by सतविन्द्र कुमार राणा

"अन्तराल !व्यवधानों का जंजाल,समस्याओं से सशंक वेदनाओं का ताल,संदेहयुक्त भविष्य के घोर…"

डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव replied Oct 13, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-84

610 Oct 14, 2017
Reply by सतविन्द्र कुमार राणा

"बंद खिड़की के कांच से होता हुआ पहले वो कमरे में फैला और  फिर औरत के चेहरे पर चढ़  कान…"

डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव replied Oct 13, 2017 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-84

610 Oct 14, 2017
Reply by सतविन्द्र कुमार राणा

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"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
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गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
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