For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक ग़ज़ल रुबाइ की बह्र में

मफ़ऊल मफ़ाईल मफ़ाईल फ़अल

221     1221   1221    12

पाना जो शिखर हो तो मेरे साथ चलो

ये अज़्म अगर हो तो मेरे साथ चलो

दीवार के उस पार भी जो देख सके

वो तेज़ नज़र हो तो मेरे साथ चलो

होती है ग़रीबों की वहाँ दाद रसी

तुम ख़ाक बसर हो तो मेरे साथ चलो

पत्थर पे खिलाना है वहाँ हमको कँवल

आता ये हुनर हो तो मेरे साथ चलो

हर शख़्स वहाँ कड़वा करेला है "समर"

लहजे में शकर हो तो मेरे साथ चलो

"समर कबीर"

मौलिक/अप्रकाशित

Views: 1482

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 28, 2019 at 4:24pm

आ. भाई समर जी, इस शानदार गजल के लिए हार्दिक बधाई।

Comment by नाथ सोनांचली on April 28, 2019 at 2:43pm

आद0 समर कबीर साहब सादर प्रणाम। 

हर शख़्स वहाँ कड़वा करेला है "समर"

लहजे में शकर हो तो मेरे साथ चलो।।

वाह वाह वाह वाह, क्या कहना

दीवार के उस पार भी जो देख सके

वो तेज़ नज़र हो तो मेरे साथ चलो।।

बेमिशाल शैर वाह वाह

होती है ग़रीबों की वहाँ दाद रसी

तुम ख़ाक बसर हो तो मेरे साथ चलो।।

आपकी सोच को नमन, बहुत खूब!

सचमुच एक बेहतरीन ग़ज़ल पढ़ने को मिली। शैर दर शैर दाद के साथ बधाई कुबुल कीजिये। सादर

Comment by Samar kabeer on April 28, 2019 at 2:12pm

ये रुबाइ की बह्र में नहीं है ।

Comment by अजय गुप्ता 'अजेय on April 28, 2019 at 1:29pm

प्रियतम, तू मेरी हाला है, मैं तेरा प्यासा प्याला,
अपने को मुझमें भरकर तू बनता है पीनेवाला,
मैं तुझको छक छलका करता, मस्त मुझे पी तू होता,
एक दूसरे की हम दोनों आज परस्पर मधुशाला

Comment by Samar kabeer on April 28, 2019 at 10:04am

// जो रुबाइयाँ हरिवंश जी ने मधुशाला में रची हैं वो अलग हैं क्या//

उनकी कोई रुबाइ यहाँ लिखिये, तब कुछ बता सकूँगा ।

Comment by अजय गुप्ता 'अजेय on April 28, 2019 at 12:05am

// क्या रुबाई को 2222 2222 22 के मीटर पर लिया जा सकता है//

रुबाइ को इस मीटर पर नहीं ले सकते,इसका अपना मीटर होता है 

इस जानकारी के लिए शुक्रिया समर साहब।

लेकिन जो रुबाइयाँ हरिवंश जी ने मधुशाला में रची हैं वो अलग हैं क्या!!

Comment by Samar kabeer on April 24, 2019 at 9:16am

 जनाब अजय गुप्ता जी आदाब,ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।

// क्या रुबाई को 2222 2222 22 के मीटर पर लिया जा सकता है//

रुबाइ को इस मीटर पर नहीं ले सकते,इसका अपना मीटर होता है ।

Comment by Samar kabeer on April 24, 2019 at 9:10am

जनाब नरेन्द्र सिंह चौहान जी आदाब,ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।

Comment by अजय गुप्ता 'अजेय on April 23, 2019 at 11:54pm

इस बेमिसाल ग़ज़ल को पढ़कर मन प्रसन्न हो गया। इस प्रस्तुति के लिए आभार समर साहब।

एक शंका का निवारण कीजिये। क्या रुबाई को 2222 2222 22 के मीटर पर लिया जा सकता है। 

Comment by narendrasinh chauhan on March 29, 2019 at 7:59pm

बहोत सुन्दर रचना सर,  शानदार गज़ल के लिए बधाई,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"वक़्त बदला 2122 बिका ईमाँ 12 22 × यहाँ 12 चाहिए  चेतन 22"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ठीक है पर कृपया मुक़द्दमे वाले शे'र का रब्त स्पष्ट करें?"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी  इस दाद और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत…"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आपका"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय "
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आदरणीय "
2 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी सादर प्रणाम । बहुत बहुत बधाई आपको अच्छी ग़ज़ल हेतु । कृपया मक्ते में बह्र रदीफ़ की…"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय DINESH KUMAR VISHWAKARMA जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। जो…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय 'अमित' जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी आदाब। इस उम्द: ग़ज़ल के लिए ढेरों शुभकामनाएँ।"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। इस जहाँ में मिले हर…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, अभिवादन।  गजल का प्रयास हुआ है सुधार के बाद यह बेहतर हो जायेगी।हार्दिक बधाई।"
5 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service