For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल- बस नज़र क्या मिली हो गया आपका

212 212 212 212
याद आता रहा सिलसिला आपका ।
बस नज़र क्या मिली हो गया आपका ।।

आपकी सादगी यूं असर कर गई ।
रेत पर नाम मैंने लिखा आपका ।।

इश्क़ की जाने कैसी वो तहरीर थी ।
रातभर इक वही खत पढ़ा आपका ।।

है सलामत अभी तक वो खुशबू यहां ।
गुल किताबों से मुझको मिला आपका ।।

वक्त की भीड़ में खो गया इस कदर ।
पूछता रह गया बस पता आपका ।।

इक ख़ता जो हुई भूल पाया कहाँ ।
यूं अदा से बहुत रूठना आपका ।।

बात शब् भर चली हिज्र तक आ गई ।
फर्ज था वस्ल तक जोड़ना आपका ।।

टूट कर सब बिखरते गए हौसले ।
था ज़माना गज़ब था खुदा आपका ।।

जख़्म गहरा हुआ ,हो गया फिर सितम ।
इस तरह हाल फिर पूछना आपका ।।

होश खोने गया मैकदे में तभी ।
दे गया कोई फिर वास्ता आपका ।।

- नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित

Views: 457

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Naveen Mani Tripathi on February 12, 2017 at 8:57pm
आ0 सुरेन्द्र नाथ सिंह कुश क्षत्रप जी सादर आभार
Comment by नाथ सोनांचली on February 12, 2017 at 8:12pm
आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी सादर अभिवादन, बेहतरीन ग़ज़ल हुई, दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ । सादर
Comment by Naveen Mani Tripathi on February 12, 2017 at 7:27pm
आ0 कबीर सर हार्दिक आभार के साथ नमन ।
Comment by Samar kabeer on February 12, 2017 at 7:26pm
जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on February 12, 2017 at 11:19am
आदरणीय मुहम्मद आरिफ साहब तहेदिल से शुक्रिया।
Comment by Mohammed Arif on February 12, 2017 at 10:14am
आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब, बहुत सुंदर ग़ज़ल कही आपने । शे'र दर शे'र दाद क़ुबूल करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
Jun 7

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Jun 6
Sushil Sarna posted blog posts
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Jun 3
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Jun 3

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Jun 3
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Jun 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service