For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरी जान

बनकर दुल्हन

बनी ठनी 

सजी संवरी

मृदु मुस्कान

भर चली ।

मेरी लाडो

बन दुल्हन

घर चली | 

वीरान आँगन

वो मेरा

कर चली ।

मेरी जान

अपने सजन की 

हो चली ।

घर बाबुल का 

पीछे छोड़ 

चल पड़ी | 

नए सपने सजोये

अपने पी के संग 

हो चली | 

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 450

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 20, 2016 at 8:18pm
आदाब जनाब समर साहब । तहे दिल से शुक्रिया आपका ।
Comment by Samar kabeer on July 20, 2016 at 6:51pm
मोहतरमा कल्पना भट्ट साहिबा आदाब,सबसे पहले तो बिटिया की शादी की दिल से बधाई स्वीकार करें ।
दिल को जज़्बाती कर गई आपकी ये रचना,बहुत ही सलीके से अपने भाव पिरोये हैं आपने,बेटी की जुदाई,उसके ब्याह की प्रसन्नता सब कुछ समा गया इस प्रस्तुति में,दिल से ढेरों बधाई स्वीकार करें ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 19, 2016 at 8:46pm
धन्यवाद अदरणीय शुशील सर
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 19, 2016 at 8:45pm
धन्यवाद अदरणीय गिरिराज सर ।
Comment by Sushil Sarna on July 19, 2016 at 7:21pm

मेरी जान
अपने सजन की
हो चली ।
घर बाबुल का
पीछे छोड़
चल पड़ी |
नए सपने सजोये
अपने पी के संग
हो चली |

अति अति अति उत्तम प्रस्तुति ... इस भावों की गागर छलकाती रचना के लिए हार्दिक हार्दिक बधाई आदरणीया कल्पना जी।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 19, 2016 at 6:30pm

आदरणीया कल्पना जी , सुन्दर भाव पूर्ण प्रस्तुति के लिये आपकओ हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 19, 2016 at 8:38am
सादर धन्यवाद सर
Comment by Ashok Kumar Raktale on July 19, 2016 at 7:29am

मेरी लाडो

बन दुल्हन

घर चली | 

वीरान आँगन

वो मेरा

कर चली ।....वाह !

आदरणीया कल्पना भट्ट जी सादर, इस सुंदर हृदयस्पर्शी प्रस्तुति के लिए , बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें. सादर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Thursday
Sushil Sarna posted blog posts
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Jun 3
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Jun 3

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Jun 3
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service