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मिसेज़ वर्मा [लघु कथा ]

"क्या बात है वर्मा जी i सत्तर की उम्र में भी आप युवाओं से ज्यादा चुस्त हैं " पार्क से निकलते हुए मैंने वर्मा जी  से कहा I

"पूरे नियम से रहता हूँ Iघूमना ,योग , स्वस्थ भोजन, पंद्रह सालों से टस से मस नहीं हुआ है नियम I "गर्व से दमक रहा था उनका चेहरा I

"बिल्कुल, वो तो दिखता है I"

"सुबह निम्बू शहद पानी से लेकर रात को सोने से पहले हल्दी के दूध तक ,एक भी दिन चूक नहीं होती है I"

"किससे?" 

"मिसेज़ से और किससे ,वो ही तो ध्यान रखती है रूटीन का Iऔर हाँ , घर में नौकर चाकर सब हैं ,पर रसोई में उनका प्रवेश बिलकुल मना हैI खाना पीना ,सब मिसेज़ देखती हैं Iसख्त हिदायत है मेरी I" 

"और मिसेज़ आपकी ? उन्हें नहीं प्रेरित करते आप योग  और सुबह घूमने के लिए ? इस उम्र में  उनके लिए भी ज़रूरी है स्वस्थ दिनचर्या I"

"अरे ,लेडीज़ का क्या .घर के झंझटों में ही लगी  रहती हैंI  उन्हें इन चीज़ों की उपयोगिता की क्या समझ I"

"वो सुबह  घूमने और योग करने निकल पड़ीं तो  आपकी कड़क चाय और दूसरे नियमों का क्या होगा ?" मैंने धीरे से कहा I

"कुछ कहा आपने ?'"

"जी नहीं I लीजिये  घर आ गया आपका Iमिसेज़ हर्बल चाय लिए बैठी होंगी I"

मौलिक व् अप्रकाशित

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Comment by नादिर ख़ान on October 29, 2015 at 11:00am

आदरणीया प्रतिभा जी कहानी के माध्यम से आपनेउम्दा बात कही और कहानी घर घर की कह दी , खुद के लिए  अलग नियम और पत्नी के लिए अलग ,समाज में ऐसा अक्सर ही  होता आया है । बाकि आदरणीया राजेश कुमारी जी से मै पूर्णतः  सहमत हूँ । 

Comment by kanta roy on October 26, 2015 at 6:18pm

वाह !!! क्या नब्ज पकड़ी हैं आप आदरणीया प्रतिभा जी।  मान गए।  बधाई हो जी।  :))))))


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Comment by rajesh kumari on October 26, 2015 at 11:02am

कई मायनों में ये लघु कथा अपना सार्थक प्रभाव छोड़ती है पुरुष की मानसिकता के साथ स्त्रियों की अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही को भी दर्शाती है तथा उन्हें प्रेरणा भी देती है जागरूक होने के लिए ..हर घर के किस्से हैं ये अच्छा तो तब है जब दोनों जागरूक हों तथा एक साथ व्यायाम के लिए बाहर जाएँ एक दूसरे का ख़याल रखें  बहुत अच्छी लघु कथा एवं उससे बेहतर प्रस्तुतीकरण |हार्दिक बधाई प्रिय प्रतिभा जी 

Comment by pratibha pande on October 25, 2015 at 1:49pm

सराहना के लिए हार्दिक आभार आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी  

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 24, 2015 at 5:08pm
आदरणीया Pratibha Pandey जी, बहुत अच्छे विषय पर सार्थक सटीक सृजन किया है आपने। तहे दिल बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएँ आपको। आप कोशिश करतीं, तो अंतिम पंक्तियों में ज़ोरदार तंज छोड़ा जा सकता था।
Comment by pratibha pande on October 24, 2015 at 8:56am

आदरणीया नीता जी रचना की सराहना के लिए आपका ह्रदय से आभार 

Comment by pratibha pande on October 24, 2015 at 8:52am

उत्साह वर्धक प्रतिक्रया के लिए आपका आभार आदरणीय सुशील जी 

Comment by pratibha pande on October 24, 2015 at 8:51am

पति पत्नी दोनों को ही एक दूसरे का बराबर ध्यान रखना है अक्सर महिलाऐं अपने प्रति लापरवाह होती हैं ,पूरे घर का ध्यान रखती हैं पर अपना नहीं रखती ,, कथा पर प्रस्तुत होकर सराहना के लिए आपका ह्रदय से आभार आदरणीय ओमप्रकाश जी 

Comment by pratibha pande on October 24, 2015 at 8:43am

आपको कथा पसंद आई ,हार्दिक आभार ,सीखने वाली बात कहना आपका बड़प्पन है शुक्रिया राहिला जी 

Comment by Nita Kasar on October 23, 2015 at 12:28pm
जी बिल्कुल एेसा भी होता है मैं सहमत हंू आद०ओमप्रकाश क्षत्रिय जी के कथन से पर एेसा भी होता है दोनों एक दूसरे का ख़्याल रखते है पुरूष मानसिकता को प्रदर्शित करती कथा के लिये बधाई आद०प्रतिभा पांडे जी ।

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