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पैमाना(सोमेश कुमार )
राम-राम अम्मा जी |(मुकेश बंसल के साथ सैर पर निकलते हुए सुरेश गुप्ता चौखट पर बैठी वृद्धा को देखकर )
राम-राम बेटा |ठीक हो !(वृद्धा ने उनको देखकर हाथ उठाते हुए पूछा )
बस आपका आशीष है |(कहते हुए आगे बढ़ जाते हैं )
कुछ दूर चलने के बाद |अरे सुरेश जी !ये आप क्या कर रहे थे ?
मैंने क्या किया ?
उस औरत को - - -!
क्यों ?कुछ गलत कर दिया |
और क्या ?
कैसे ?
कहाँ आप,कहाँ वो ?
मतलब !
आप जाति के बनिया पढ़े-लिखे शिक्षक फ्लैट में रहने वाले और कहाँ वो मलिछ भंगिन बुढ़िया |
बस यही बात ?
क्या यह कम है !
और क्या ?क्या लोगों को अपनी बराबरी वालों से ही बोलना बतियाना चाहिए |
और नहीं तो क्या
फिर तो मुझे आप से भी मतलब नहीं रखना चाहिए ?
क्यों ?
आप और मैं भी तो बराबर नहीं हैं |i
मतलब !ये तो गलत कह रहे हैं आप |हम दोनों तो बनिया भाई हैं |वो क्या हमारी जाति की है ?

मतलब यही कि बराबरी का यह पैमाना मैं नहीं मानता |वो जो बुजुर्ग है वो उम्र में मेरी माँ के समान हैं |उसके पास जीवन का अनुभव मुझसे ज़्यादा है |उसके चार शादी-शुदा बेटे हैं जो मुझे हमेशा सम्मानपूर्वक नमस्कार करते हैं |उसकी चारों बहुए मुझे देखते ही पर्दा कर लेती हैं और अगर दरवाजे पर झाड़ू वैगरह लगा रही होती हैं तो रुक जाती हैं |मैं उनका क्या लगता हूँ ?
पssर !
ठीक है मैं फ़्लैट में रहता हूँ |क्या कीमत है उसकी ?
40-50 लाख के आसपास |
और वो अम्मा जिस 250 वर्ग गज के प्लाट में रहती है उसकी ?
करोड़ों से ऊपर |
अच्छा मेरे घर के पास किसका घर है आपका या उसका ?
उसका ही है |
अगर अचानक आधी रात में मुझ पर कोई मुसीबत आती है तो सबसे पहले मेरे आवाज़ किस तक जाएगी |तुम तक या उस तक |
क्षमा कीजिए सुरेश जी |मैं आपकी बात समझ गया |
सोमेश कुमार(मौलिक एवं अमुद्रित )

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Comment by kanta roy on October 5, 2015 at 3:19pm

इंसान को  मापने का पैमाना बहुत खूब परिभाषित किया है आपने अपनी इस कथा में आदरणीय सोमेश जी।  बधाई स्वीकार करें। 

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 4, 2015 at 7:24pm
वाह , बहुत सुन्दर प्रस्तुति , आदरणीय सोमेश कुमार जी , सच बात तो ये है कि बहुत से लोग अभी भी ऐसे ही रह रहे हैं , ये तो बस पचास एक साल की उपलब्धि है कि हम अपने रहन - सहन के तरीके - बदल चुके हैं , आपसी सौहार्द खो रहे हैं , बधाई , सादर।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 4, 2015 at 12:57pm
काश इस उत्कृष्ट कहानी के नेक संदेश को हर इन्सान समझ सके, बहुत अच्छा विषय उठाया है आपने आदरणीय Somesh Kumar जी। एक कहानी ऐसी भी हो जिसमें बुज़ुर्गों महिला अपनी सखी से सामने रह रहे रईस पड़ोसी के बारे में अपने उद्गार व्यक्त करती। सादर
Comment by Manan Kumar singh on October 3, 2015 at 10:06am
विचारपरक कथा।

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