For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"आतंकी सोच"-- (लघु कथा)

"आतंकी सोच"- (लघु कथा)

"अजी सुनते हो, संगीत सोम है न जो उसको धमकी भरा ख़त मिला है .....और..."

"और क्या ? तुम तो समाचारों की सुर्खियां सुनाती भर जाओ"- सुबह सुबह बिस्तर पर पड़े हुए खन्ना साहब ने अपनी पत्नी से कहा।

"और फ़िल्म कलाकारों के घर में लाखा !!!"

"लाखा ?"

"हां 'लाखा'....होंगे किसी गुट के आतंकी !
जूही चावला, जितेन्द्र और अनिल कपूर के घर में 'लाखा' !"

"अरे ! वो 'लाखा' नहीं ' लार..वा' है 'ला..र..वा' डेंगू का लारवा ! मतलब ऐडीज मच्छर के बच्चे !" - खन्ना साहब ने आँखें मलकर टेलीविजन हाइलाइट्स पर नज़र डालते हुए कहा।

"तो क्या हैं तो वैसई !"


"मौलिक व अप्रकाशित"
_शेख़ शहज़ाद उस्मानी

Views: 483

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 25, 2015 at 11:05am
24 सितम्बर, 2015 के एक समाचार पर आधारितhttp://newshunt.com/share/44522185 Source:Webduniya Hindi
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 24, 2015 at 8:16pm
बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद आदरणीया Pratibha Pande जी हौसला अफज़ाई हेतु
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 24, 2015 at 8:15pm
तहे दिल बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय श्री मिथिलेश वामनकर मेरी इस रचना पर उपस्थिति दर्ज कर प्रोत्साहक टिप्पणी करने के लिए
Comment by pratibha pande on September 24, 2015 at 7:02pm

'लाखा 'और ' ला र  वा'  का ये असमंजस बडा ही रोचक  बना है ,बधाई  इस रचना के लिए आपको आदरणीय 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on September 24, 2015 at 3:39pm

बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है. हार्दिक बधाई आपको.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
Jun 7

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Jun 6
Sushil Sarna posted blog posts
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Jun 3
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Jun 3

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Jun 3
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Jun 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service