For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लड़कियां और उड़हूल के फूल : नीरज कुमार नीर

लड़कियाँ होती अगर
उड़हूल के फूलों की तरह
और तोड़ ली जाती
बिन खिले
अधखिले
खिल जाती फिर भी
समय के साथ
पर लड़कियाँ तो होती हैं
गुलाब की तरह


नीरज कुमार नीर /
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 1009

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neeraj Neer on August 5, 2015 at 8:47pm

इस प्रोत्साहन हेतू आपका बहुत धन्यवाद आदरणीय श्री सुनील जी 

Comment by Neeraj Neer on August 5, 2015 at 8:46pm

आभार आदरणीय जवाहर जी 

Comment by shree suneel on August 5, 2015 at 2:46am
बड़ी सहजता से गूढ़ बात पिरो दी आपने इस कविता में आदरणीय नीरज जी. बहुत ख़ूब. इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक.. हार्दिक बधाइयाँ आपको.
Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 4, 2015 at 9:48pm

गजब!

Comment by Neeraj Neer on August 4, 2015 at 4:18pm

आपका हार्दिक आभार आदरणीय गिरिराज भंडारी साहब ..... 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 4, 2015 at 1:36pm

बहुत सही बात कही , आदरणीय , बहुत बढिया । कविता के लिये हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by Neeraj Neer on August 2, 2015 at 8:08pm

आदरणीय सौरभ जी यह मेरे लिए सम्मान की बात है ..... आपका हार्दिक आभार मान्यवर इस उत्साहवर्द्धक टिप्पणी हेतू ..... 

Comment by Neeraj Neer on August 2, 2015 at 8:06pm

आर्डिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी ... 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 2, 2015 at 8:01pm

बहुत खूब भाई नीरजनीरजी. अपने अंदाज़ की बहुत ही सहज किन्तु अत्यंत सुगढ़ रचना हुई है.आपकी इस कविता को मैं रख रहा हूँ. 

हार्दिक शुभकामनाएँ. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 2, 2015 at 7:49pm

बढ़िया प्रस्तुति बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"बहुत सुंदर अभी मन में इच्छा जन्मी कि ओबीओ की ऑनलाइन संगोष्ठी भी कर सकते हैं मासिक ईश्वर…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
17 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
yesterday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ठीक है "
yesterday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
yesterday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"लख़्त ए जिगर अपने बच्चे के लिए इस्तेमाल किया जाता है  यहाँ सनम शब्द हटा दें "
yesterday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"वैशाख अप्रैल में आता है उसके बाद ज्येष्ठ या जेठ का महीना जो और भी गर्म होता है  पहले …"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"सहृदय शुक्रिया आ ग़ज़ल और बेहतर करने में योगदान देने के लिए आ कुछ सुधार किये हैं गौर फ़रमाएं- मेरी…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. भाई जयनित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service